रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एटीएम लेनदेन से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव की इजाजत विभिन्न बैंकों को दे दी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को सभी बैकों को इस बात की अनुमति दे दी है कि वो कैश और नॉन कैश एटीम ट्रांजैक्शन पर शुल्क बढ़ा सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप पहले से एक महीने में तय मुफ्त एटीएम ट्राजैक्शन लिमिट से ज्यादा बार ट्रांजैक्शन करते हैं तब आपको पहले जो शुल्क चुकाना पड़ता था उसमें बढ़ोतरी हो चुकी है। पहले यह शुल्क 20 रुपए निर्धारित थी जिसे अब 21 रुपया कर दिया गया है। आरबीआई के नए आदेश 1 जनवरी, 2022 से लागू होंगे।

हालांकि, उपभोक्ता अपने बैंक के एटीएम से एक महीने में 5 बार मुफ्त ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इसके अलावा दूसरे बैंक के एटीएम से भी वो 3 बार मुफ्त ट्रांजैक्शन मेट्रो शहर और 5 बार गैर-मेट्रो शहर में सकते हैं। RBI ने अपने नए दिशा-निर्देशों में सभी बैंकों को एटीएम ट्रांजैक्शन के लिए इंटरचेंज शुल्क बढ़ाने की अनुमति भी दी ही। नए नियमों के मुताबिक सभी केंद्रों पर हर एक फाइनेंसियल ट्रांजैक्शन के लिए अब इंटरचेंज फी के तौर पर 15 की जगह 17 रुपए देने होंगे। इसके साथ ही नॉन फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन के लिए 5 की जगह 6 रुपए देने होंगे। यह व्यवस्था 1 अगस्त 2021 से लागू होगी।

क्या होता है इंटरचेंज शुल्क?

अगर आप अपने बैंक के एटीएम के बजाए किसी अन्य बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं तब ऐसे में आपका बैंक उस बैंक को निश्चित शुल्क का भुगतान करती है जिस बैंक के एटीएम से आपने पैसे निकाले हैं। इसे ही एटीएम इंटरचेंज फीस कहा जाता है।

क्यों लिया गया फैसला?

न्यूज एजेंसी ‘PTI’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में एटीएम की तैनाती में बढ़ती लागत और बैंकों द्वारा एटीएम रखरखाव के खर्च को देखते हुए बैंकों को अब ज्यादा चार्ज लेने की अनुमति दी गई है। बताया जा रहा है कि कई साल से निजी बैंक और व्‍हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स इंटरचेंज फीस को 15 रुपए से बढ़ाकर 18 रुपया करने की मांग कर रहे थे।

जून 2019 में भारतीय बैंकों के संगठन के मुख्‍य कार्यकारी की अध्‍यक्षता में समिति गठित की गई थी, इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया गया है।  एटीएम के लिए इंटरचेंज फी संरचना अंतिम बार अगस्त 2012 में बदलाव किया गया था। ग्राहकों द्वारा दिए जा रहे चार्ज की समीक्षा अंतिम बार अगस्त 2014 में की गई थी।

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