ब्रिटिश और नॉर्वे के दो वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वाइरस को चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान लैब में ही तैयार किया। यह कोई प्राकृतिक रूप से उपजा वाइरस नहीं क्योंकि प्राकृतिक रूप से उपजे वाइरस के पुरखे होते हैं, जबकि कोरोना का कोई माई-बाप नहीं। दावा करने वाले वैज्ञानिकों के नाम हैं प्रोफेसर ऐंगस डालग्लेश और डॉ बिरगर सोरेनसेन है। इन दोनों के रिसर्च पेपर पर डेली मेल में प्रकाशित खबर बताया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने वाइरस तैयार करने के बाद रिवर्स इंजीनियरिंग की तकनीक अपनाते हुए वह रास्ता बंद कर दिया जिसके जरिए कोई साइंसदां कोरोना के जन्म का रहस्य खोल सकता।

लेकिन जैसा कहते हैं न कि अपराधी कितना ही शातिर क्यों न हो, कुछ निशान छूट ही जाते हैं। इन दो वैज्ञानिकों ने वही चिह्न पकड़े हैं। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चीनियों ने चमगादड़ में पाया जाने वाला बैकबोन नामका एक वाइरस पकड़ा और उसके ऊपर स्पाइक्स जोड़ दिए। स्पाइक माने वह कांटे या ताजनुमा रचना जो गोल कोरोना वाइरस के चारो ओर चिपकी होती है। इन्हीं स्पाइक्स के कारण ही इस वाइरस ने इतना खतरनाक रूप अख्तियार कर लिया।

ये स्पाइक प्रोटीन से बने होते हैं। इनमें चार ऐसे अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जिनमें पॉजिटिव चार्ज पाया जाता है। इसीलिए स्पाइक्स आदमी का शरीर मिलते ही जोंक की तरह चिपक जाते हैं क्योंकि आदमी के शरीर में निगेटिव चार्ज पाया जाता है।

बहरहाल, दोनों वैज्ञानिकों ने रिसर्च पेपर में लिखा है कि उन्होंने कौविड-19 के सैम्पल्स में उन फुट-प्रिंट्स को पा लिए हैं जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि कोरोना वाइरस के बनाने में मानव हाथों का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चीन में वाइरस का जन्म रहस्य छिपाने के लिए की गई रिवर्स इंजीनियरिंग के सुबूत उनके पास साल भर से थे, लेकिन वरिष्ठ वज्ञानिकों ने उनकी तरफ कोई तवज्जो नहीं दी।

इस बीच वियतनाम से आई एक खबर में कहा गया है कि वहां एक वाइरस मिला है जो भारत और ब्रिटेन के स्ट्रेन से मिल कर बना है और यह हवा के जरिए तेजी से फैलता है। हनोई में स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस वाइरस की मौजूदगी की पुष्टि की है। अधिकारियों ने कहा है कि वैज्ञानिकों ने वाइरस की एक संकर नस्ल का स्ट्रेन खोजा है जो भारती और ब्रिटिश स्ट्रेन के मिलने से बना है। इस बारे में वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री इंगुएन थां लांग ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में दी। उन्होंने कहा कि यह गले में लार और बलगम के बीच बड़ी तेजी से पनपता है और हवा के जरिए भी संक्रमण फैलाने की ताकत रखता है।

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