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राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी सियासत एक बार फिर गर्माने के संकेत हैं। सचिन पायलट गुट के असंतुष्ट विधायक हेमाराम चौधरी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। हेमाराम ने ई-मेल और डाक से अलग-अलग इस्तीफे की कॉपी विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भेजी है। हेमाराम चौधरी ने खुद इस्तीफा भेजने की पुष्टि की है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने हेमाराम चौधरी के इस्तीफा भेजने के बाद मीडिया से दूरी बना ली है, जोशी मीडिया को जवाब नहीं दे रहे हैं।

हेमाराम चौधरी ने भास्कर से कहा- मैंने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया है। इस्तीफा ई-मेल कर दिया है और डाक से भी भेज दिया है। मैंने पहले भी इस्तीफा दिया था, लेकिन उस वक्त स्वीकार नहीं किया गया था, पार्टी ने मुझे मनाया तो मान गया था। अब ढाई साल से विधायक हूं, बहुत हो गया, आगे ढाई साल नहीं रहूंगा तो क्या हो जाएगा। इस्तीफे की वजह इसके स्वीकार होने के बाद बताउंगा।

राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी सियासत एक बार फिर गर्माने के संकेत हैं। सचिन पायलट गुट के असंतुष्ट विधायक हेमाराम चौधरी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। हेमाराम ने ई-मेल और डाक से अलग-अलग इस्तीफे की कॉपी विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भेजी है। हेमाराम चौधरी ने खुद इस्तीफा भेजने की पुष्टि की है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने हेमाराम चौधरी के इस्तीफा भेजने के बाद मीडिया से दूरी बना ली है, जोशी मीडिया को जवाब नहीं दे रहे हैं।

हेमाराम चौधरी ने भास्कर से कहा- मैंने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया है। इस्तीफा ई-मेल कर दिया है और डाक से भी भेज दिया है। मैंने पहले भी इस्तीफा दिया था, लेकिन उस वक्त स्वीकार नहीं किया गया था, पार्टी ने मुझे मनाया तो मान गया था। अब ढाई साल से विधायक हूं, बहुत हो गया, आगे ढाई साल नहीं रहूंगा तो क्या हो जाएगा। इस्तीफे की वजह इसके स्वीकार होने के बाद बताउंगा।

हेमाराम चाैधरी लंबे समय से नाराज, विधानसभा के बजट सत्र में खुलकर नाराजगी जताई

हेमाराम चौधरी सचिन पायलट खेमे के विधायक हैं। पिछले साल पायलट खेमे की बगावत के समय हुई बाड़ेबंदी में भी वे 19 विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में थे। विधानसभा के बजट सत्र के दाैरान भी हेमाराम ने तल्ख तेवर दिखाते हुए सरकार पर उनकी आवाज दबाने और उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास के कामों में भेदभाव का आरोप लगाया था। हेमाराम चौधरी सरकार बनने के बाद से ही असंतुष्ट चल रहे हैं, उनकी जगह हरीश चौधरी को मंत्री बनाया गया था तब से वे नाराज हैं।

हेमाराम ने पहले भी इस्तीफा दिया था

हेमाराम चौधरी ने इससे पहले भी इस्तीफा दिया था, लेकिन उस वक्त पार्टी ने उन्हें मना लिया था। सरकार के गठन की शुरुआत में वे लंबे समय तक विधानसभा भी नहीं आए थे, उस वक्त भी वे नाराज थे। बाद में उनकी मांगों की अनदेखी और इलाके में काम नहीं होने की वजह से नाराजगी बढ़ती गई।

14 फरवरी 2019 को भी इस्तीफा दिया था, लेकिन तब मान गए थे
हेमाराम चौधरी ने 14 फरवरी 2019 को भी इस्तीफा दिया था। उस वक्त विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था और सामने लोकसभा चुनाव होने वाले थे, पार्टी ने उन्हें मना लिया था। 2019 में इस्तीफा सार्वजनिक भी नहीं किया था। इस बार हेमाराम ने इस्तीफे की घोषणा की है।

CHO भर्ती में नहीं पूछे जाने को लेकर भी थे नाराज
हाल ही मेडिकल में हुई कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर ( CHO) भर्ती को लेकर भी हेमाराम नाराज थे। हेमाराम ने गुढामालानी क्षेत्र में सीएचओ लगाने में राय नहीं लेने के साथ गड़बड़ियों के आरोप लगाए थे। नाराजगी के कारण और बहुत से थे लेकिन यह भी उसकी लिस्ट में जुड़ गया।

विधानसभा के बजट सत्र में हेमाराम ने कहा था- मुझसे कोई दुश्मनी है तो सजा दें, गुढामालानी की जनता का क्या दोष है?

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान हेमाराम चौधरी ने तल्ख तेवर अपनाए थे। पीडब्ल्यूडी की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान हेमाराम चौधरी ने कहा था- मुझे पता है, मुझे नहीं बोलने देंगे। बोलना बहुत कुछ है। मेरी आवाज को आप यहां दबा सकते हो। यहां नहीं बोलने दोगे। दूसरी जगह बोल देंगे। बोलने का क्या खामियाजा मुझे भुगतना है, यह मैं भुगतने को तैयार हूं। मेरे से कोई दुश्मनी है तो जो सजा दें। भुगतने को तैयार हूं। गुढामालानी की जनता का क्या दोष है, जो नाम के लिए एक सड़क दी है। होशियारी से सायला गुढामालानी सड़क मंजूर की। इस सड़क से गुढामालानी का क्या लेना देना?

सरकार के बहुमत पर असर नहीं, लेकिन पर्सेप्शन खराब

विधानसभा में अभी कांग्रेस के 106 विधायक हैं, हेमाराम का इस्तीफा मंजूर होने पर यह संख्या 105 हो जाएगी। विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। कांग्रेस सरकार के पास अभी 13 ​निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम विधायकों का समर्थन है। इस तरह गहलोत सरकार के पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा है।

अब सरकार, संगठन और स्पीकर पर निगाहें

हेमाराम के इस्तीफे के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह सिंह डोटासरा और स्पीकर सीपी जोशी पर निगाहें टिकी है। इस मामले में सरकार और संगठन डेमेज कंट्रोल की कवायद करेंगे या नहीं इससे आगे की सिसासत तय होगी। स्पीकर सीपी जोशी इस्तीफा मंजूर करते हैं या नहीं इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। इस्तीफे पर अभी तीनों की ही प्रतिक्रिया आना बाकी है।

सियासी हलकों में चर्चाएं, क्या एक साल बाद फिर सियासी संकट की आहट

हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है। राजनीतिक जानकार इसे सचिन पायलट खेमे की रणनीति का हिस्सा मानकर चल रहे हैं। पिछले साल मई में राज्यसभा चुनावों के वक्त विधायकों की बाड़ेबंदी हुई थी, अब एक साल बाद हेमाराम के इस्तीफे के बाद फिर से सियासी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। जानकार हेमाराम के इस्तीफे को आगे आने वाले सियासी संकट के संकेत के तौर पर देख रहे हैं।

सुलह कमेटी में तय हुई सचिन पायलट खेमे की मांगें पूरी नहीं करने का सियासी साइड इफेक्ट

हेमाराम के इस्तीफे को सचिन पायलट खेमे की सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों को 10 माह बाद भी पूरा नहीं करने से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पायलट खेमे के विधायक अपने इलाकों में काम नहीं होने, सरकार में तवज्जो नहीं मिलने की शिकायत करते आए हैं। 14 अप्रैल को सचिन पयलट ने भी कहा था कि सुलह कमेटी के सामने तय हुई बातों को अब पूरा करना चाहिए और अब देरी का कोई कारण नहीं बचता।

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