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कोटा, 18 अगस्त । रणथंबोर अभ्यारण में 106 सुल्ताना प्रथम के नाम से विख्यात मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघिन एमटी-2 की 3 अगस्त को मौत के बाद उसके घायल शावक ने मंगलवार को कोटा चिडिय़ाघर में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। बाघिन एमटी-2 की मौत के बाद घायल शावक का उपचार पिछले 16 दिन से कोटा के चिडिय़ाघर में चल रहा था। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व पिछले सात माह में एमटी-3 बाघ,एमटी-2 बाघिन व उनके एक शावक की मौत से वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 3 अगस्त को एमटी-3 की मौत हो गई थी। जिसके बाद उसके दोनों शावक लापता मिले। वन विभाग की टीम द्वारा तलाश किए जाने पर बाघिन के शव के कुछ ही दूरी पर उनका एक शावक घायल अवस्था में मिल गया था। जिसको उपचार के लिए कोटा के चिडिय़ाघर में लाया गया। यहां पशु चिकित्सकों की निगरानी में पिछले 16 दिन से उसका उपचार किया जा रहा था। पशु चिकित्सकों ने रविवार को शावक का ब्लड टेस्ट किया जिसमें शावक की हीमोग्लोबिन की मात्रा 2.6 पाया गया। शावक की स्थिति कमजोर होने के चलते पशु चिकित्सक लगातार उसकी सेहत पर निगरानी रखे हुए थे। शावक का लास्ट मोमेंट मंगलवार सुबह 4:37 पर देखा गया था। पशु चिकित्सकों के अनुसार शावक की मृत्यु मंगलवार सुबह 5:28 पर हुई। जिसकी जानकारी के अनुसार एनटीसीए प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शावक के शव का पोस्टमार्टम किया गया। रणथंबोर की बाघिन टी-39 नूर की तीन बेटियों में से एक एमटी-2 बाघिन रणथंबोर में टी-106 सुल्ताना के नाम से व्याख्या थी। जिसे दिसंबर 2018 में मुकुंदरा में शिफ्ट किया गया था। जिसके बाद रणथंबोर से अपने प्यार की तलाश में एमटी-3 बाघ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहुंच था। यहा 23 जुलाई को एमटी-3 बाघ की बीमारी के कारण असमय मौत हो गई थी। टाइगर रिजर्व में महादेव मंदिर के पास उसने अंतिम सांस ली। इसके 10 दिन बाद ही बाघिन एमटी-2 की 3 अगस्त सोमवार सुबह मौत हो गई थी। बाघ एमटी-3 व बाघिन एमटी-2 की मौत के बाद आरबीआई बरेली भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट में मेटि-2 बाघिन की रिपोर्ट नेगिटिव पाई गई है जिंसमे मिड रिपोर्ट में बाघिन की मौत का कारण जहर से होना नही पाया गया है। वही बाघ एमटी-3 की मौत मल्टीपल ऑर्गन फैलियर होने के कारण हुई है साथ ही असली कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
बाघिन एमटी-2 का एक शावक अभी लापता: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व बाघिन एमटी-2 के दो शावकों में से एक शावक अभी लापता है। वन विभाग की टीम बाघिन की मौत के बाद से ही जंगल में दूसरे शावक की तलाश में जुटा हुआ है। अब तक शावक वन विभाग के अधिकारियों के हाथ नहीं लग पाया है। शावक को उसकी मां से बिछड़े हुए 16 दिन हो चुके हैं। ग्रीनकोर के सचिव डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा, बूंदी के रामगढ़ को भी बाघों से आबाद करके रणथम्भौर और मुकुंदरा के बीच कॉरिडोर बनाए जाने की जरूरत है।

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