राजस्थान में सत्ताधारी दल कांग्रेस है। ऐसे में इस चुनाव में हार-जीत का ज्यादा असर कांग्रेस पार्टी पर ही पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी अपने बागियों को मनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और सबसे बड़ा आश्वासन इन बागियों के लिए होगा राजनीतिक नियुक्तियों का। प्रदेश में अब राजनीतिक नियुक्तियां जिले के स्तर पर होनी हैं। ऐसे में जो बागी पार्टी की बात मानकर नाम वापस लेता है, उसे राजनीतिक नियुक्तियों का आश्वासन मिलेगा और संभव है कि उनके नाम उस लिस्ट में शामिल भी कर लिए जाएं जो राजनीतिक नियुक्तियों के लिए तैयार किए जा रहे हैं।
चुनाव में केवल कांग्रेस के प्रत्याशी ही बागी होकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कमोबेश ऐसा ही हाल भाजपा का भी है। भाजपा के सामने चुनौती यह है कि उसे किसी भी तरीके से अपने शहरी वोटरों को संभाल कर रखना है। ऐसे में अपना गढ़ बचाने के लिए भाजपा को बगावत कर रहे नेताओं की समझाइश करनी होगी और अगर ये समझाइश से नहीं मानते हैं, तो भाजपा फिर एक बार अनुशासन का डंडा इन बागियों पर चलाएगी।
प्रदेश के झुंझुनू, झालावाड़, पाली, नागौर, राजसमंद, सीकर, अजमेर, बीकानेर ,भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडग़ढ़, बूंदी, डूंगरपुर, चूरू, टोंक, उदयपुर, बांसवाड़ा, जैसलमेर और जालोर के नगरीय निकायों में 28 जनवरी को चुनाव हैं। इनमें एक नगर निगम, 9 नगर परिषद और 80 नगर पालिका हैं। इनमें कुल 3035 वार्डों में चुनाव होंगे।

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