चुनावी चौसर बिछने से पहले ही अब मिठास में कड़वाहट घुलने लगी है। चुनावी सीजन से चीनी भी महंगाई के रथ पर सवार हो गई है। पिछले साल के मुकाबले इस दीपावली से पहले चीनी 9 रुपए प्रति किलो की दर से महंगी बिकने लगी है। इससे मिठाई बनाने से लेकर चाय बनाने तक विक्रेताओँ और ग्राहकों को आर्थिक नुकसान होने लगा है। थोक विक्रेताओं ने इस महंगाई के लिए गन्ने की नई फसल की आवक और यूपी में गन्ने में लगने वाले संक्रमण रोग की वजह बताई है। व्यापारियों ने चुनाव को भी इसकी एक वजह मानी है। लेकिन व्यापारी खुलकर बोल नहीं रहे। पिछले साल 36 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही यह चीनी अब 45 रुपए बिक रही है। जबकि कई जगह तो रिटेल में यह 46 से 49 रुपए किलो तक बेची जा रही है। इलाके में सबसे ज्यादा चीनी की आवक यूपी से हो रही है। पहले महाराष्ट्र की चीनी मिलों से सप्लाई होती थी लेकिन महाराष्ट्र और श्रीगंगानगर के बीच दूरी अधिक होने के कारण परिवहन खर्च ज्यादा आता है। ऐसे में चीनी व्यापारी यूपी की चीनी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

हमारी चीनी के भी नखरे तेज
गंगानगर शुगर मिल की चीनी के दाम भी बढ़ गए हैं। यह चीनी अब 41.50 से 42 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही है जबकि पिछले महीने यही 38 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही थी। इस चीनी का रंग सफेद की बजाय पीला होने के कारण इसकी खपत ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है। व्यापारियों की माने तो इस चीनी में सबसे ज्यादा मिठास होती है लेकिन रंग सफेद नहीं होने के कारण शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता अधिक पसंद नहीं करते।

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