• आरटीएच बिल चिकित्सकों पर जबरन थौप रही सरकार
  • सरकार का दायित्व है कि वह भूखे को खाना खिलाए, इसका मतलब ये नहीं कि उसे फाइव स्टार में खाना खिलाया जाएगा : डॉ. शरद कुमार अग्रवाल

कोटा । स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक राजस्थान निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर हानिकारक और विनाशकारी प्रभाव डालने वाला है। इस बिल में पूरी तरह से संशोधन होना चाहिए, जिसमें सरकार को चिकित्सकों की राय लेनी चाहिए नहीं तो राजस्थान से चिकित्सकों का पलायन हो जाएगा। यह बिल किसी भी सूरत में लागू होने योग्य नहीं हैं, इसमें पूरी तरह से चिकित्सकों को भारी परेशानी का सामना करना पडेगा। ये बात आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. शरद कुमार अग्रवाल ने आईएमए हॉल में पत्रकारवार्ता के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स के सभी संगठनों की स्टेट जोइंट एक्शन कमेटी का गठन किया गया है, जिसके तहत इस बिल का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस बिल में सजा का प्रावधान है, कोई भी हमारे ऊपर कैस कर सकता है और उसकी हम अपील भी नहीं कर सकते, ये तो संविधान के खिलाफ है, संविधान भी अपील करने का हमारी बात रखने का अधिकार देता है। इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है, कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा यह किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं है. मरीज के लिए बुखार इमरजेंसी हो सकता है, लेकिन चिकित्सकों के लिए नहीं है। ये बिल निजी चिकित्सकों के साथ सरकारी चिकित्सकों के लिए भी उचित नहीं है। डॉ. शरद ने कहा कि इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना चाहिए। सरकार ने जल्दबाली में बिना सोचे समझे इस बिल को बनाया है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। सरकार अपनी जिम्मेदारी निजी चिकित्सालयों पर थौपना चाहती है। डॉ. शरद ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा आपातकालीन प्रसूति उपचार सहित मुफ्त आपातकालीन उपचार करना अनिवार्य है,भुगतान प्रक्रिया का उल्लेख नहीं किया गया है, सभी प्रकार के चिकित्सा आपातकालीन रोगियों का इलाज करना अनिवार्य है, एमबीबीएस डॉक्टर प्रसूति या हार्ट अटैक के मरीज का इलाज कैसे करेगा। उन्होंने कहा कि ये इस बिल में पूरी तरह से संशोधन किया जाना आवश्यक है। संशोधन नहीं किया गया तो इसका पुरजोर विरोध सरकार को छेलना पडेगा।

– पूरी तरह से बंद रहेंगी चिकित्सा सेवाएं

स्टेट जोइंट एक्शन कमेटी के अनुसार कोटा सहित राजस्थान में 11 फरवरी को सुबह 8 बजे से 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी। इस बिल के विरोध में चिकित्सालय के साथ ही क्लिीनिक, नर्सिंग होम व अन्य चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी।

उसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा।

कोटा आईएमए अध्यक्ष डॉ. आरपी मीणा व सचिव डॉ. अखिल अग्रवाल ने कहा कि ने बताया कि सरकार डॉक्टर्स की आपत्तियों के बाद भी नहीं सुन रही है। सभी अस्पतालों में सड़क दुर्घटना के मरीजों के लिए मुफ्त परिवहन, मुफ्त इलाज और मुफ्त बीमा कवरेज प्रदान करना अनिवार्य है जो व्यवहारिक नहीं है। निजी अस्पतालों में मुफ्त ओपीडी और इलाज करना अनिवार्य है, लेकिन उसका पैसा कौन देगा, कब देगा, कितना देगा, इसको स्पष्ट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह भूखे को खाना खिलाए, इसका मतलब ये नहीं कि उसे फाइव स्टार में खाना खिलाया जाएगा ।

– बिना तैयारी का चुनावी बिल है

आईएमए के पूर्व सचिव डॉ. अमित व्यास ने कहा कि सरकार ये बिल बिना तैयारी के लेकर आई है, इसमें चिकित्सकों की राय नहीं ली गई ना ही जो कमेटी बनाई गई है, उसमें किसी चिकित्सक को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से चुनावी बिल है। रोगियों और परिचारकों द्वारा हिंसा के लिए कानून के तहत सजा का प्रावधान नहीं है। इसलिए इस बिल को लागू नहीं किया जाना चाहिए और इसमें संशोधन होना ही चाहिए नहीं तो प्रदेश के सभी चिकित्सक इसका विरोध करेंगे। इस अवसर पर आईएमए महिला विंग की संयुक्त सचिव डॉ. अर्चना मीणा, डॉ. वीरेन बेरीवाल, डॉ. आरपी वर्मा सहित कई चिकित्सक उपस्थित थे।

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