आपने ऐसी बहुत-सी प्रतिभाओं को देखा या सुना होगा, जिन्होंने कड़ी मेहनत से मुकाम हासिल किया लेकिन क्या आपने किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है, जिसने अलग-अलग तरीकों से टाइपिंग कर कई विश्व रिकॉर्ड बनाए हों। दिल्ली निवासी 40 वर्षीय विनोद कुमार चौधरी ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें नाक से भी तीव्र गति से टाइपिंग करने में महारत हासिल है। विनोद हाथों के साथ-साथ नाक से भी टाइपिंग करके अभीतक कई गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। यही नहीं, उन्होंने 27 अप्रैल 2018 को तो अलग-अलग तरह से टाइपिंग में एक ही दिन में दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड अपने नाम किए। उन्होंने पहला विश्व रिकॉर्ड वर्ष 2014 में बनाया था और तब से लेकर अभीतक वे होंठों के बीच पेन पकड़कर ‘माउथ स्टिक टाइपिंग’, एक हाथ से टाइपिंग, एक उंगली से टाइपिंग और आंखें बंद करके सबसे तेज टाइपिंग करने के आठ विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। वह विश्वभर में अकेले ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अबतक सबसे तेज टाइपिंग करने के इतने सारे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के खिताब हासिल किए हैं।
दिल्ली के द्वारका में एक यूनिवर्सिटी में कार्यरत विनोद ने टाइपिंग सीखने की शुरूआत करीब 20 साल पहले वर्ष 2000 में की थी। उस समय वे 10वीं कक्षा में पढ़ते थे और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उन्होंने एक कोरियर कम्पनी के साथ डिलीवरी ब्वॉय के रूप में कार्य शुरू किया। उसी दौरान एकदिन वे एक कार्यालय में डाक देने गए तो उन्होंने देखा कि एक कर्मचारी दायीं तरफ रखी एक पुस्तक में देखकर बिना कीबोर्ड देखे टाइपिंग कर रहा था। विनोद दंग रह गए और तभी उनके मन में विचार आया कि क्यों न वह भी टाइपिंग सीखकर इस क्षेत्र में कुछ कमाल करें। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली के झण्डेवालान स्थित सेवा भारती संस्था में टाइपिंग सीखनी शुरू की। उस दौरान विनोेद घर-घर अखबार बांटकर जो भी कमाई करते थे, उससे उन्होंने करीब एक साल के अंदर अलग-अलग संस्थानों में टाइपिंग सीखकर उसमें महारत हासिल की।
हालांकि विनोद का सपना सेना में भर्ती होकर देशसेवा करने का था लेकिन लम्बाई कम होने के कारण जब उनका वह सपना पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने टाइपिंग के क्षेत्र में कुछ अलग हटकर करने की ठान ली। वह बताते हैं कि उन्होंने 27 फरवरी 2014 को टीवी पर देखा कि किस प्रकार हैदराबाद के खुर्शीद हुसैन नामक युवक ने नाक से टाइपिंग करने का गिनीज बुक रिकॉर्ड बनाया। उसे देखकर अचानक विनोद पर ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने उसी पल ठान लिया कि उन्हें भी इसी प्रकार नाक से टाइपिंग कर एकदिन गिनीज बुक का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कराना है। उसके बाद अपने बुलंद हौंसलों की मिसाल कायम करते हुए विनोद ने खुर्शीद का रिकॉर्ड तोड़ते विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। उनके मुताबिक शुरू में जब वह नाक से टाइपिंग की प्रैक्टिस करने लगे तो उनके तमाम साथी मजाक उड़ाया कराया करते थे लेकिन जब उन्होंने उसी वर्ष 2014 में नाक से टाइपिंग करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया तो सभी ने उनकी प्रतिभा को सराहा।
2014 में मोहम्मद खुर्शीद हुसैन के नाम नाक से 47.44 सैकंड में 103 अक्षर टाइप करने का विश्व रिकॉर्ड था, जिसे विनोद ने 46.30 सैकेंड में नाक से टाइपिंग करते हुए तोड़कर 22 दिसम्बर 2014 को अपना पहला गिनीज रिकॉर्ड बनाया था। दूसरा रिकॉर्ड उन्होंने 2016 में अंग्रेजी के ए से जैड तक सभी 52 वर्णाक्षर सिर्फ 6.9 सैकेंड में एक हाथ से टाइप कर 4 सितम्बर 2016 को सबसे तेज टाइपिंग का रिकॉर्ड बनाया। उसी वर्ष तीसरा गिनीज रिकॉर्ड अंग्रेजी वर्णाक्षर केवल 6.71 सैकेंड में आंख बंद करके सबसे तेज गति से टाइप का रिकॉर्ड 18 अप्रैल 2016 को उनके नाम दर्ज हुआ। 11 मई 2017 को उन्होंने माउथ स्टिक टाइपिंग में सभी अंग्रेजी वर्णाक्षर 18.65 सैकेंड में सबसे तेज टाइप कर रिकॉर्ड बनाया और 27 अप्रैल 2018 को 17.69 सैकेंड में यही कारनामा करते हुए अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया। 27 अप्रैल 2018 को ही उन्होंने 29.53 सैकेंड में एक वाक्य एक उंगली से टाइप कर सबसे तेज टाइपिंग का गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया और 26 अप्रैल 2019 को 21.69 सैकेंड में एक उंगली से सबसे तेज टाइपिंग करने के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ डाला। 2019 में ही विनोद ने होंठों के बीच पेन पकड़कर 17.01 सैकेंड में सबसे तेज टाइपिंग कर अपना 2018 का रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया।
2014 में 46.30 सेकेंड में नाक से सबसे तेज टाइपिंग करने के उनके विश्व रिकॉर्ड को अबतक कोई नहीं तोड़ पाया है। हाल ही में उन्होंने एक उंगली से सबसे तेज गति से टाइपिंग करने के लिए अपने नौवें विश्व रिकॉर्ड के लिए भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को अपनी प्रविष्टि भेज दी है। उनकी काबिलियत के लिए उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। विनोद कहते हैं कि अब उनका सपना विश्व स्तर पर उसैन बोल्ट जैसा बनकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करना है। फिलहाल एक संस्थान में टाइपिस्ट की नौकरी करने के अलावा अपने घर में ही वे कुछ जरूरतमंद व दिव्यांग बच्चों को निःशुल्क टाइपिंग और कम्प्यूटर का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं।
योगेश कुमार गोयल (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)