कोरोना काल में लगातार तेजी दिखाने के बाद सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट जारी है। देश भर में सोने का दाम 56 हजार रुपये के शिखर पर पहुंचने के बाद धराशायी होता नजर आ रहा है। अब ऐसे में निवेशकों के मन में सवाल है कि क्या 10 ग्राम सोने का भाव 50 हजार के नीचे आएगा? अगर एक्सपर्ट की माने तो 10 ग्राम सोने का भाव 50,000 रुपये के नीचे और एक किलो चांदी का भाव 60,000 रुपये के नीचे आ सकता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने के दाम गिर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस द्वारा कोरोना वैक्सीन जल्द लाने की खबर से शेयर बाजार में विश्वास बढ़ा है। इससे सोने-चांदी में मुनाफावसूली हुई है और कीमतें तेजी से नीचे आ रही है।

इस वजह से आई गिरावट
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमत में बड़ी गिरावट की वजह है रूस द्वारा कोरोना वैक्सीन की दिशा में आगे बढ़ना है। इसके साथ ही डॉलर सूचकांक में मजबूती लौटी है। सोने-चांदी की कीमतों में कमी आने की एक वजह अमेरिका सहित भारत में एक और आर्थिक पैकेज देने की चर्चा भी है। इससे सोने चांदी की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। दुनियाभर और भारतीय शेयर बाजारों पर निवेशकों का भरोसा बढ़ा है, जिससे सोने और चांदी की तरफ उनका झुकाव कम हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरे सोने के दाम

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने के दाम गिरकर करीब 1950 डॉलर प्रति औंस के नीचे आ गए हैं। अच्छे आर्थिक आंकड़ों की वजह से अमेरिकी डॉलर में मज़बूती लौटी है। वहीं अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, कोरोना के इलाज की उम्मीद और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड डील की संभावना ने सोने पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसी वजह से सोने के रेट गिर रहे हैं।

सोने-चांदी में निवेश से बचे निवेशक 
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को अभी सोने में फिलहाल खरीदारी से बचना चाहिए। सोने में लगातार तेजी के बाद अब बिकवाली देखने को मिल सकती है। सोने का भाव वापस 50,000 रुपये  प्रति दस ग्राम से नीचे जा सकता है। वहीं चांदी के भाव 60,000 रुपये तक फिर से पहुंच सकते हैं। ऐसे में सोने या चांदी में खरीदारी की योजना बना रहे हैं निवेशकों को फिलहाल इंतजार करना फायदेमंद होगा।

क्या अभी निवेश करना है सही?
जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो साल में सोना 70 हजार रुपये के पार पहुंच सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद भी दुनिया का आर्थिक संकट तुरंत खत्म होने वाला नहीं है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल के बीच सोने की मांग में आगे भी तेजी बनी रहने की उम्मीद है।

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