कोरोना इम्पेक्ट: कोचिंग संस्थानों व हॉस्टलों में छाई वीरानी, 2 लाख परिवार आर्थिक संकट में
कोचिंग की राजधानी कोटा शहर में कोरोना महामारी का संक्रमण इन दिनों चरम पर है। इसके भय से बाजारों में मंदी व सन्नाटा है। देश के सभी राज्यों से जेईई-मेन, एडवांस्ड तथा नीट की क्लासरूम कोचिंग ले रहे 1.50 लाख से अधिक विद्यार्थियों के घर लौट जाने से हर क्षेत्र में वीरानी छा गई है। कोचिंग व हॉस्टल एसोसिएशन के सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष शहर में करीब 4500 करोड़ का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। करीब 50 हजार रिपीटर्स विद्यार्थी जो शिक्षा के साथ रोजगार भी कर रहे थे, वे भी अपने घरों को पलायन कर गये हैं। कोटा में कोंिचंग उद्योग शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कोरोना महामरी के चलते कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल व मैस से जुड़े करीब 2 लाख निम्न व मध्यम आय वालों लोगों के लिये आजीविका का संकट पैदा हो गया है। पिछले 5 माह में अन्य राज्यों से यहां आकर फुटपाथों पर छोटे-छोटे काम-धंधे करने वाले निम्न वर्ग के लोग थक-हारकर घरों को लौट चुके हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि कोराना संक्रमण के बढते प्रकोप के बावजूद भले ही सितंबर में जेईई-मेन, एडवांस्ड व नीट जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षायें आयोजित करा दी जायें, कोरोना से भयभीत बाहरी राज्यों के छात्र-छात्राओं का कोटा में आकर पढाई करना चुनौतीपूर्ण होगा।
कोचिंग से जुड़े हर कारोबार में सन्नाटा-कोटा में चारों ओर रेजीडेंशियल ब्वायज व गल्र्स हॉस्टल, होटल, अपार्टमेंट, मैस व टिफिन सेंटर, रेस्तरां, मोबाइल, स्टेशनरी, ऑटोरिक्शा, वैन व टैक्सी, रेडीमेड शॉप, सब्जी, फल व जूस सेंटर, पोहे, जलेबी के ठेले, कचोरी व चाय-कॉफी सेंटर, साइबर कैफे, प्रोविजन स्टोर, क्रॉकरी, बर्तन, शॉपिंग मॉल, इलेिक्ट्रकल व इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम, फर्नीचर, टू-व्हीलर व फोर व्हीलर शोरूम, साइकिल, प्रापर्टी व रियल एस्टेट आदि व्यवसाय पूरी तरह कोचिंग से जुड़े हुये हैं। इतना ही नंहीं, कई बैंकों के टर्नओवर भी कोचिंग इंडस्ट्री से जुडे हुये थे। पिछले 5 माह में कोचिंग विद्यार्थियों के पलायन से 90 फीसदी करोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
ऐसे समझें कोटा की इकोनॉमी-कोटा के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में 1.50 लाख से अधिक कक्षा-6 से 12वीं तक के विद्यार्थी क्लासरूम कोचिंग ले रहे थे। विद्यार्थियों की संख्या की तुलना में इनके लिये 2500 से अधिक रेजीडेंशियल हॉस्टल तथा विभिन्न कॉलोनियों में 5000 से अधिक मकानों में पेइंग गेस्ट रूम सुविधा होने से लगभग 3.50 लाख कमरे किराये पर उपलब्ध रहेे। एक कोचिंग विद्यार्थी का प्रतिवर्ष 1.30 लाख रू कोचिंग फीस, 1.50 लाख रू. हॉस्टल व मैस खर्च, 20 हजार रू. स्टेशनरी व अन्य मदों पर खर्च होता है। अर्थात् 3 लाख रू से अधिक सालाना खर्च करने वाले 1.50 लाख विद्यार्थियों से कोटा के मार्केट में प्रतिवर्ष 4500 करोड़ रू. से अधिक राशि का मनी फ्लो बना रहता था। कोरोना महामारी के चलते मार्च से ही इसके ठप हो जाने से सभी क्षेत्रों में स्वत: तालाबंदी के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक लोढ़ा ने बताया कि कोचिंग संस्थान के आसपास एक किमी की दूरी तक नये हॉस्टल के निर्माण कार्य निरंतर जारी थे। जिसमें बारां रोड पर प्रस्तावित प्रमुख कोचिंग संस्थान में इस सत्र से क्लासरूम कोचिंग प्रारंभ होनी थी लेकिन मार्च में कोरोना महामारी के कारण यह कार्य ठप हो गया, जिससे आसपास नवनिर्मित व निर्माणाधीन हॉस्टल्स भी शून्य पर आ गये। इस क्षेत्र में बाहरी राज्यो के निवेशकों ने बडी संख्या में हॉस्टल इंडस्ट्री में बडी राशि का निवेश किया था। आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन है कि इस मंदी से उबरने में कोटा को 2-3 वर्ष लग सकते हैं।

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