सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक आयुर्वेद डॉक्टर पर कोरोना वायरस के इलाज करने के दावे को लेकर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. हरियाणा के रहने वाले ओमप्रकाश वैद ज्ञानतारा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर निर्देश मांगा था कि उनकी दवा का इस्तेमाल देशभर के डॉक्टरों और अस्पतालों को COVID-19 के रोगियों के इलाज के लिए करने के लिए कहें. आयुर्वेद डॉक्टर ने अपनी दलील में दावा किया गया कि उन्होंने कोरोना वायरस का देसी इलाज खोज लिया है. हालांकि न्यायमूर्ति संजय के कौल की अगुवाई वाली पीठ ने जनहित याचिका पर गंभीरता से राय ली और कहा कि ऐसा लगता है कि ज्ञानतारा ने लोगों का ध्यान खींचने और प्रचार के लिए याचिका दायर की थी.

अदालत ने कहा ज्ञानतारा की जनहित याचिका में मांगे गए निर्देश पूरी तरह से गलत थे और 10 हजार का जुर्माना लगा दिया. अदालत ने कहा लोगों में यह संदेश जाना जरूरी है कि लोगों को इस तरह की तुच्छ मांगों के साथ अदालत का रुख नहीं करना चाहिए. जस्टिस संजय कौल, अजय रस्तोगी और अनिरुद्ध बोस ने कहा “हमारा मानना है कि इस तरह की याचिकाओं को अदालत में लाना बंद करना चाहिए क्योंकि न्यायिक समय की इस तरह बर्बादी करना पूरी तरह से अनुचित है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड वेलफेयर फंड के साथ 10,000 रुपये जमा करने का आदेश दिया.

इससे पहले जून में योग गुरु रामदेव ने एक ने दावा किया था कि उन्होंने कोरोना वायरस के इलाज के लिए कोरोनिल नामक दवा तैयार की है. रामदेव ने दावा किया कि कोरोनिल ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ में रोगियों पर क्लीनिकल ट्रायल में 100 फीसदी अनुकूल परिणाम दिखाए हैं. हालांकि उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी ने कहा कि पतंजलि ने लाइसेंस लेने के वक्त उन्हें यह नहीं बताया था कि उनकी नई दवा कोरोना वायरस के इलाज के लिए थी.

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