जयपुर। केन्द्र सरकार के कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 के विरोध में शुक्रवार को राज्य की 247 मण्डियां बंद रही। राजस्थान के साथ ही देश की अन्य मंडियां हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की मंडियों में भी हड़ताल रही। राज्य की सभी मंडियों के व्यापारियों और आढ़तियों ने व्यापार बंद रखकर मंडी परिसरों में धरना प्रदर्शन किया।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार के अध्यादेशों से पूरे देश के किसान व व्यापारियों में भारी रोष है। इससे किसान व आढ़ती बर्बाद हो जाएगा। अगर सरकार ने अपना आढ़ती व किसान विरोधी फरमान वापस नहीं लिया, तो उसके बाद अक्टूबर महीने से मंडियां अनिश्चित काल के लिए बंद करने की योजना पर भी चर्चा की जाएगी। व्यापारी, किसान व मजदूर सड़कों पर उतरेंगे। गुप्ता ने कहा, जब तक किसान की फसल मंडी में खुले भाव में नहीं बिकेगी तब तक किसान को अपनी फसल का पूरा दाम नहीं मिल सकता।

क्यों हो रहा है विरोध
इसी अध्यादेश के अधीन मंडियों से बाहर काम करने वाले व्यापारी, मिलर, वेयरहाउसेज बगैर मण्डी लाइसेन्स तथा बिना मण्डी सेस चुकाये जिंसों की खरीद-फरोख्त कर सकेंगे। इस कानून के अनुसार राज्य के किसी भी कोने में किसान, ट्रेडर, आढ़तिया क्रय-विक्रय कर सकेंगे तथा राज्य के बाहर भी कृषि जिंस का खरीद-फरोख्त, बिना अनुज्ञापत्र लिए तथा बगैर मण्डी सेस चुकाये कर सकेंगे। इसके कारण मंडियों में कार्यरत व्यापारी व आढ़तियां का व्यापार समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। तथा मण्डी के बाहर असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाएंगे।

क्या है मांगें
व्यपार संघों का केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि वे जिस प्रकार इस अध्यादेश के अन्तर्गत मंडी के बाहर मंडी सेस तथा अन्य सेस समाप्त किए हैं, उसी प्रकार मंडियों में भी मण्डी सेस व अन्य सेस समाप्त करें। मंडियों के मेन्टीनेन्स के लिए नोमिनल मेन्टीनेन्स चार्जेज लिए जा सकते हैं। यदि केन्द्र सरकार यह नहीं कर सकती है तो मण्डी के बाहर कार्य करने वाले व्यापारी, मिलर आदि को भी राज्यों में लागू मण्डी टैक्स देय लागू किया जाए।

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