सुबह उठने पर शरीर में होने वाली अकड़न आम बात है। लेकिन इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। जोड़ों में होने वाले सामान्य दर्द के पीछे बड़े कारण हो सकते हैं, बता रही हैं स्वाति शर्मा

इस साल पहले का समय याद करूं तो दादी की फुर्ती देखते बनती थी। सुबह मेरा और उनका साथ ही उठना होता था। मां कभी कमर दर्द की शिकायत भी कर दे तो ताना मिलता था, हमसे ज्यादा तो ये बूढ़ी हो गई हैं। जब मैं मां की उम्र की हुई, तो मैं भी उनकी तरह कभी कमर दर्द तो कभी जोड़ों के दर्द की शिकायत करने लगी। शरीर की अकड़न और जोड़ों का दर्द अब उम्र का तकाजा देखकर नहीं आता। सुबह आंख खुलने के बाद बिस्तर से नीचे पांव रखने में करीब पंद्रह मिनट लग जाते हैं। कभी कंधे अकड़े होते हैं, तो कभी एड़ियां दर्द से कराह रही होती हैं। पैर मोड़ो तो घुटना जवाब देने लगता है। दो दशकों के फासले में जीवन और बीमारियां दोनों की रफ्तार काफी तेज हो चुकी है। सुबह-सुबह होने वाली ये अकड़न और दर्द कुछ कहानी कहते हैं, आप भी सुनें:

  1. ये संकेत हैं बीमारियों के
    सुबह जोड़ों में होने वाली अकड़न का सीधा संकेत है कि आपको हड्डियों की समस्या शुरू हो चुकी है। समस्या कितनी गंभीर है ये जांच का विषय है। ऑर्थोपैडिक डॉ. अनूप अग्रवाल कहते हैं कि अगर अकड़न कई जोड़ों में होती है तो व्यक्ति को सिस्टेमिक इन्फ्लेमेटरी डिजीज हो सकती है। इसमें खून में मौजूद विषाक्त तत्व एक साथ कई जोड़ों पर प्रभाव डालते हैं। इस तरह की बीमारियों में आमतौर पर रूमेटॉएड आथ्र्राइटिस, सीरोनिगेटिव आथ्र्राइटिस जैसी कई तरह की आथ्र्राइटिस होने की आशंका होती है। ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।
  2. पुरुषों में आमतौर पर एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस की आशंका अधिक होती है। इसमें कमर, गर्दन या पीठ की मांसपेशियों में अकड़न होती है। प्लांटर फैशीआइटिस में एड़ियों में सूजन के कारण दर्द होता है, खासतौर पर सुबह उठने पर। इस तरह का दर्द सुबह उठने के बाद थोड़ी देर चलने पर ठीक हो जाता है। सुबह उठने के बाद होने वाली अकड़न और जोड़ों के दर्द की समस्या में यूरिक एसिड की भी अहम भूमिका है। शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर भी कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। जोड़ों में होने वाला दर्द उनमें से एक है। अगर यूरिक एसिड शरीर से न निकल पाए तो जोड़ों में क्रिस्टल के तौर पर इकट्ठा होना शुरू हो जाता है।
  3. खानपान और जीवनशैली है जिम्मेदार
    हमारा खानपान और जीवनशैली किसी गैजट के फीचर्स की तरह तेजी से बदलने लगे हैं। इस कारण 60 की उम्र में होने वाली समस्याएं अब 40 की उम्र में होनी शुरू हो चुकी हैं। बाहर का खाना हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। सिर्फ सुविधाओं की प्राथमिकता देने की हमारी आदत ने हमारा ध्यान सेहत से भटका दिया है। डॉ. अनूप कहते हैं कि दरवाजे पर आने वाला खाना कैसा है, हमें नहीं पता। इसके अलावा जल्दबाजी और स्वाद के कारण जंक फूड को हम इस कदर अपना चुके हैं कि शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
    नियमित रूप से इस तरह के भोजन का सेवन करने से खून में विषाक्त तत्वों की मात्रा बढ़ती है। यहां समझने की जरूरत है कि दवा दुकानों में मिलने वाले सप्लीमेंट खाद्य पदार्थों से मिलने वाले प्राकृतिक पोषण की भरपाई नहीं कर सकते। इसके अलावा खराब जीवनशैली भी शरीर में होने वाले इस अकड़न के लिए खासी जिम्मेदार है। लगातार बढ़ रही व्यस्तता के कारण व्यायाम व प्रकृति से हमारा नाता लगभग टूट-सा गया है। घरों के भीतर रहना, सूर्य की पर्याप्त रोशनी न मिल पाना और नींद का खराब टाइमटेबल भी हड्डी और मांसपेशियों की तकलीफों का जिम्मेदार है।
  4. कुछ कदम उपचार की ओर
    ’    समस्या का उपचार उसके कारणों पर नियंत्रण से होता है। बात हार्मोन में बदलाव की हो या पोषण की, आपको अपने भोजन पर ध्यान देने की जरूरत है। आपको तय करना होगा कि शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलें। कई दफा फिगर का ख्याल रखने के चक्कर में की गई डाइटिंग भी पोषण में कमी ला देती है। वजन कम करने के लिए किसी भी प्रकार की डाइट कोअपनाने से अच्छा है कि आप संतुलित आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
    ’ जोड़ों में होने वाले दर्द के लिए शरीर में कैल्शियम की कमी भी जिम्मेदार होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए चिकित्सक की सलाह से  कैल्शियम और विटामिन-डी का सप्लीमेंट ले सकती हैं।
    ’  विटामिन-डी को प्राकृतिक तौर पर लेने की कोशिश जरूर करें। विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का काम करता है। विटामिन-डी की कमी से शरीर के भीतर कैल्शियम बेकार हो जाता है। इसके लिए हर सुबह 20 मिनट 50 प्रतिशत खुले बदन में सूरज की रोशनी में बिताएं।
    ’    जीवनशैली कितनी भी व्यस्त हो, 30 मिनट टहलना न भूलें। टहलने से रक्तसंचार अच्छा होता है और विषाक्त शरीर में जमा नहीं हो पाते।
    ’    सुबह उठने पर शरीर में होने वाली अकड़न को हल्के में न लें। इसे गंभीर समस्या बनने से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूर लें।
    ’    सिंकाई और तेल मालिश वाले नुस्खों का इस्तेमाल भी चिकित्सक की सलाह के अनुरूप ही करें।

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