सुप्रीम कोर्ट में आज वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा अदालत की अवमानना केस में सजा पर बहस हुई। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना से जुड़े बयान पर विचार करने के लिए दो दिन का वक्त दिया है। हालांकि, प्रशांत ने कोर्ट में ही कहा कि मुझे समय देना कोर्ट के समय की बर्बादी होगी, क्योंकि यह मुश्किल है कि मैं अपने बयान को बदल लूं। इस बीच अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी सुप्रीम कोर्ट से प्रशांत भूषण को सजा न देने की अपील की।
प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान आज खुद कोर्ट में खड़े होकर कहा कि उन्हें अवमानना मामले में कोर्ट की तरफ से खुद को दोषी ठहराए जाने पर चोट पहुंची है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में खुली आलोचना संवैधानिक अनुशासन को स्थापित करने के लिए है। मेरे ट्वीट सिर्फ नागरिक के तौर पर अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी को निभाने की छोटी कोशिश थे। प्रशांत भूषण ने अपने बयानों को लेकर कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया। हालांकि, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट को उन्हें अपने बयानों पर विचार के लिए कुछ समय देना चाहिए। इस पर जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम मामले में तुरंत फैसला नहीं लेंगे। हम इस पर विचार करने के लिए प्रशांत भूषण को दो-तीन दिन का समय देंगे।
इससे पहले प्रशांत भूषण की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि इस मामले में हमारे पास समीक्षा याचिका दायर करने के लिए 30 दिन का समय है। उन्होंने कहा कि हम क्यूरेटिव पिटीशन डालने पर भी विचार कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले में सजा की सुनवाई दूसरी बेंच को देने की अपील करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि यही बेंच उनके मुवक्किल को सजा सुनाए। दवे ने कहा कि अगर लॉर्डशिप इस सुनवाई को समीक्षा तक टाल देंगे, तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। हालांकि, बेंच में शामिल जज जस्टिस गवई ने केस को दूसरी बेंच को ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने प्रशांत को पिछले हफ्ते ही अवमानना केस में दोषी ठहराया था।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के लिये 14 अगस्त को दोषी ठहराया था। न्यायालय की अवमानना के इस मामले में अवमाननाकर्ता को अधिकतम छह महीने की साधारण कैद या दो हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।