झुंझनु 19 अगस्त । कोरोना संक्रमण के दौरान औषधीय पौधे सहजन (मोरिंगा) की मांग बढ़ गई है। सहजन के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। झुंझुनू के लोगों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर में यह पौधे आसानी से मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए,सी और बी कांप्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दयानंद का कहना है कि सहजन औषधीय महत्व का पौधा है। इसका निरंतर सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जो वर्तमान समय में कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में अत्यंत लाभकारी हो सकता है। कोरोना संक्रमण के चलते जिले में इस की मांग में बहुत बढ़ोतरी हुयी है।
एक अध्ययन के अनुसार इसकी पत्तियों में संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन, दूध से 3 गुना अधिक कैल्शियम, अंडे से 36 गुना अधिक मैग्नीशियम, पालक से 24 गुना अधिक आयरन, केले से 3 गुना अधिक पोटेशियम मिलता है। इसके फल का उपयोग सब्जी अचार बनाने में होता है। सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद और नारियल पानी मिलाकर लें। यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है ।

सहजन के पत्तों का पाउडर कैंसर और दिल के रोगियों के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। इसका प्रयोग पेट में अल्सर के इलाज के लिए किया जा सकता है। सहजन (मोरिंगा) के पत्ते के पाउडर का नियमित रूप से खाने से एनीमिया दूर होता है। यह बच्चों में कुपोषण को दूर कर बेहतर पोषण देता है। यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है तथा पोषक और ऊर्जा देता है।
कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर के बागवानी विशेषज्ञ डॉ रशीद खान ने बताया कि सहजन किसी भी प्रकार की भूमि या घर के आस-पास किचन गार्डन में लगाया जा सकता है। सहजन की पीकेएम-1 किस्म रोपाई के 8 महीने बाद फलियां देने लगती है। इसकी फलियां देशी किस्म की तुलना में अधिक स्वादिष्ट व पौष्टिक होती है।

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