कटड़ा । विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल माता वैष्णो देवी की पांच माह बाद शुरू हुई यात्रा के दूसरे दिन ही पहला कोरोना संक्रमण का मामला सामने आया है। एक महिला श्रद्धालु कोरोना संक्रमित पाई गई। जबकि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के आठ कर्मी और एक महिला पुलिस कर्मी भी जांच में संक्रमित मिले हैं। सभी को कटड़ा में अंतरराज्यीय बस अड्डा के पास बनाए त्रिकुटा भवन और रेलवे के रेस्ट हाउस में आइसोलेशन वार्ड में रेफर कर दिया है ।

गौरतलब है कि बीते शनिवार को भवन पर पुजारी, उसकी पत्नी, दो बच्चे और बावर्ची कोरोना संक्रमित पाए गए थे। स्वास्थ्य विभाग पिछले सप्ताह से भवन में बोर्ड और पुलिस कर्मियों के आरटी-पीसीआर टेस्ट सैंपल ले रहा है। जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमित महिला विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) वर्तमान में इंडियन रिजर्व पुलिस (आइआरपी) की 15 बटालियन जम्मू में तैनात है। वह अपने घर रामनगर जिला ऊधमपुर से मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए कटड़ा पहुंची थी। दर्शनी ड्योढ़ी पर बनाए गए रैपिड टेस्ट सेंटर में उसकी जांच की जिसमें उसकी रिपोर्ट पाजीटिव पाई गई।

यात्रा को लेकर आने वाले सभी श्रद्धालुओं का टेस्ट अनिवार्य है। प्रशासन ने प्रवेश द्वार दर्शनी ड्योढ़ी और कटड़ा हेलीपैड पर रैपिड टेस्ट सेंटर बनाए हैं। जहां श्रद्धालुओं की लगातार टेस्टिंग सैंपलिंग की जा रही है। महिला श्रद्धालु को कटड़ा में रेलवे के रेस्ट हाउस में बनाए आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया है। वहीं भवन में तैनात बोर्ड के सहायक विंग के आठ कर्मी और एक महिला पुलिस कर्मी भी जांच में संक्रमित पाए गए। इनकी जांच तीन दिन पहले हुई थी। बोर्ड की एंबुलेंस से सभी को कटड़ा लाया गया। बोर्ड प्रशासन अपने सभी कर्मियों की टेस्ट सैंपलिंग करवा रहा है। वहीं यात्रा में पहला कोरोना केस आने के बाद बोर्ड प्रशासन और सतर्क हो गया है।

दूसरे दिन 170 श्रद्धालुओं ने किए मां वैष्णो देवी के दर्शन

पांच महीने के बाद रविवार से वैष्णो देवी यात्रा फिर शुरू हो गई। यात्रा शुरू होने के दूसरे दिन सोमवार को मात्र 170 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इनमें जम्मू कश्मीर में 110 और अन्य राज्यों के 60 श्रद्धालु थे। पहले दिन रविवार को 400 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। सोमवार को रिमझिम बारिश के बीच श्रद्धालु लगातार वैष्णो देवी भवन की ओर बढ़ते रहे। यात्रा के दौरान भवन मार्ग पर इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही नजर आए।

श्राइन बोर्ड ने प्रतिदिन 2000 श्रद्धालुओं को ही यात्रा करने की इजाजत दी है। इनमें अन्य राज्यों के सिर्फ 100 श्रद्धालु ही दर्शन के लिए भवन की ओर जा सकते हैं। इसके लिए उनके पास कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट होना भी जरूरी है। यात्रा के दौरान अन्य राज्यों के साथ ही जम्मू कश्मीर के रेड जोन क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर रैपिड टेस्ट किया जा रहा है। इसके लिए प्रशासन द्वारा नगर कटड़ा के नए बस अड्डा के साथ ही मां वैष्णो देवी के प्रवेश मार्ग यानी दर्शनी ड्योढ़ी में रैंपिड कोविड सेंटर बनाए गए हैं, जहां श्रद्धालुओं का डॉक्टरों द्वारा कोविड टेस्ट किया जा रहा है। जिन श्रद्धालुओं की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो डॉक्टरों द्वारा उनकी बाजू पर मुहर लगाई जाती है, ताकि वैष्णो देवी यात्रा के दौरान जांच कर रहे अधिकारियों को श्रद्धालु बाजू पर लगाई गई मुहर दिखा सकें।

वहीं, सोमवार को भी मां वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत पर दिनभर घने बादलों का जमघट लगा रहा, जिसके चलते हेलीकॉप्टर सेवा शुरू नहीं हो सकी। इससे श्रद्धालुओं को पैदल ही यात्रा करनी पड़ी। हालांकि आद्कुंवारी से वैष्णो देवी भवन तक चलने वाली बैटरी कार सेवा और भवन से भैरो घाटी तक चलने वाली पैसेंजर केबल कार सेवा श्रद्धालुओं को उपलब्ध रही। श्रद्धालु यात्रा के दौरान कोरोना को लेकर जारी आदेशों का पूरी तरह से पालन करते नजर आए।

कटड़ा की तरह शिवखोड़ी में भी मिलेगी भक्तों को सुविधा

रविवार से शुरू हुई माता वैष्णो देवी की यात्रा के बाद शिवखोड़ी में भी यात्रा शुरू कर दी गई है, लेकिन अभी तक कोई भी श्रद्धालु शिवखोड़ी में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए नहीं पहुंचा है। डीसी रियासी ने शिवखोड़ी में पहले सात दिनों के लिए मात्र रियासी जिले के उन लोगों, जिनके कोविड-19 टेस्ट निगेटिव हैं, उन्हें दर्शन करने की अनुमति दी है। अन्य किसी भी श्रद्धालु को शिवखोड़ी में सप्ताह भर के लिए दर्शन करने के अनुमति नहीं दी गई है।

नायब तहसीलदार रनसू अशोक कुमार, शिवखोड़ी श्राइन बोर्ड रनसू के मैनेजर राकेश शर्मा ने बताया कि कटड़ा में माता के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को जिस तरह से सुविधा मुहैया कराई जा रही है, वैसी ही व्यवस्था शिवखोड़ी में भी की जा रही है। शिवखोड़ी में कुछ दिनों में थर्मल स्क्री¨नग, सैनिटाइजेशन, रैपिड टेस्ट एवं अन्य प्रकार की सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी। एक सप्ताह के बाद अन्य जिले के श्रद्धालुओं को भी दर्शन करने की अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है।

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