पांच माह बाद शुरू हुई मां वैष्णोदेवी की यात्रा अब काफी बदल गई है। अभी जो भक्त दर्शन के लिए मां के दरबार में पहुंच रहे हैं, उन्हें न ही पंडितजी टीका लगा रहे हैं और न ही प्रसाद दे रहे हैं। पहले मंदिर प्रांगण में ही प्रसाद मिलता था, जिसे लेकर भक्त मां को चढ़ाते थे और फिर अपने साथ ले आते थे, लेकिन अभी प्रसाद की सभी दुकानें बंद हैं। भवन के अंदर कोई सामान लेकर प्रवेश नहीं किया जा सकता। बेल्ट, मोबाइल, पर्स भी भवन के बाहर ही जमा करवाए जा रहे हैं। हालांकि, पहले जहां माता के सामने से सेकंड्स में हटा दिया जाता था, अब वहां तीन-चार मिनट तक भी भक्त खड़े हो पा रहे हैं, क्योंकि अभी यात्रियों की संख्या बेहद कम है। रविवार सुबह हमारी यात्रा ताराकोट मार्ग से शुरू हुई। सभी मीडियाकर्मियों को एम्बुलेंस वैन के जरिए मां के दरबार में ले जाया गया। मां के भवन में पहुंचने के पहले हाथों को सैनिटाइजर किया गया और सामान बाहर ही जमा करवा लिया गया। इसके बाद हमारी एंट्री मां के दरबार में हुई। प्राकृतिक गुफा के अलावा अंदर तीन अन्य गुफाएं बनाई गई हैं, जहां से मां के दर्शन होते हैं। इनमें से अभी दो गुफाएं बंद हैं। सिर्फ एक ही गुफा से भक्तों को अंदर भेजा जा रहा है। इसी गुफा में एक तरफ से भक्त जा रहे हैं और दूसरी तरफ से वापस आ रहे हैं। यहीं से हमने भी मां की पवित्र गुफा में प्रवेश किया। कुछ ही सेकंड्स में हम मां के दरबार में पहुंच गए। पंडितजी ने टीका नहीं लगाया। आरती-प्रसाद भी नहीं दिया गया। हालांकि, दर्शन करने वाले चुनिंदा भक्त ही थे, इसलिए हम काफी देर तक मां के दरबार में खड़े हो सके। फिर इसी गुफा के वापसी वाले मार्ग से बाहर लौट आए।

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