कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत में ही मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि लॉकडाउन और घर में पृथकवास में रहने के कारण नौकरियां जाने और अन्य कारणों से मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आएगी।
अब उनकी बातें सच होती दिख रही हैं। अमेरिका के सीडीसी द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि जून के माह में 11 फीसदी अमेरिकियों ने परेशान होकर आत्महत्या करने के बारे में सोचा था।
2018 में इसी अवधि के दौरान 4.3 फीसदी लोगों ने आत्महत्या करने की बात सोची थी। जातीय और नस्लीय अल्पसंख्यक और आवश्यक कार्यकर्ताओं के बीच आत्महत्या की प्रवृति ज्यादा देखी गई। 5,412 अमेरिकियों का सर्वेक्षण करने वाली रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लगभग एक चौथाई में चिंता के लक्षण थे और लगभग इतने ही प्रतिशत में अवसाद के लक्षण थे। यह संख्या 2019 की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा है।
अवसाद कम करने की कोशिश की-
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 13% ने कहा कि उन्होंने जून के दौरान तनाव से निपटने के लिए पदार्थों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर 40% अमेरिकियों ने पिछले महीने मानसिक स्वास्थ्य के लिए पदार्थ के उपयोग की सूचना दी। युवा इस लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है।
18 से 24 साल के 30.7 फीसदी युवाओं ने जीवन का अंत करने के बारे में सोचा। इंडियाना की एक मानसिक चिकित्सक ब्रिटेनी जॉनसन ने कहा कि वे इस सर्वे के परिणाम से बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम अप्रिय यादों, विचारों और भावनाओं से निपटने के लिए खुद को व्यस्त रखते हैं, इसलिए मुझे पता था कि कुछ लोगों के लिए घर पर रहने के आदेश के कारण मुश्किलें होंगी।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस शोध के परिणाम से महामारी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े गहरे प्रभाव का पता चलता है। इसके लिए जल्दी कुछ करने की जरूरत है।