जयपुर । राजस्थान कांग्रेस में लंबी चली सियासी उठा-पटक के बाद चीजें ऊपर से शांत तो लग रही हैं, लेकिन गहलोत कैंप की ओर से अभी भी मामला पूरी तरह सुलझा हुआ नहीं दिख रहा है. पूर्व डिप्टी सीएम और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और उनके समर्थन में उतरे 18 बागी विधायकों ने सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलकर अपनी बात रखी थी और सुलह कर लिया था, इसके बाद ये सभी लोग राजस्थान लौट आए हैं. हालांकि, उन्हें लौटे हुए 48 घंटों से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन अभी तक न ही उनसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुलाकात की है, न ही नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने. सुलह के बाद जानकारी मिली थी कि गहलोत कैंप के विधायक इससे नाराज़ हैं, तो क्या सुलह हो जाने के बाद भी पार्टी में तनाव बना हुआ है और गहलोत इन विधायकों का खुले दिल से स्वागत नहीं कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी तरीके का रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. यही कारण है कि अब गहलोत सरकार ने यह निर्णय ले लिया है कि चाहे कोई विश्वास मत की बात करे या ना करे सरकार खुद ही विधानसभा में 14 अगस्त को विश्वास मत लेकर आएगी. यही वजह है कि जैसलमेर से आने के बाद विधायकों को फेयरमाउंट होटल में फिर से बाड़ेबंदी में रखा गया है.
अगर 14 अगस्त को विश्वास प्रस्ताव के बाद सब कुछ ठीक रहा तो विधायकों को 15 अगस्त को बाड़ेबंदी से आजादी मिल सकती है. कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहती है कि उसकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस को 124 विधायकों का समर्थन है. लेकिन गहलोत किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. यह विश्वास प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से नहीं बल्कि खुद सरकार की तरफ से लाया जाएगा.विश्वास मत लाने का तरीकादरअसल 14 अगस्त को पहले विधानसभा में शोक अभिव्यक्ति होगी. जिसके बाद विधानसभा को एक बार स्थगित किया जाएगा. इसके बाद कार्य सलाहकार समिति की बैठक होगी, जिसमें विश्वास मत लाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी जाएगी.
इसके बाद 14 अगस्त को ही सरकार विश्वास मत सदन में लेकर आएगी. जिसे वोटिंग की जगह सरकार ध्वनि मत से पास करवाने का प्रयास करेगी. हालांकि ध्वनि मत से विश्वास प्रस्ताव पास करना या नहीं करना विपक्ष पर भी निर्भर करेगा. कहा जा रहा है एक बार विश्वास मत पास करने के बाद सरकार को 6 महीने तक फ्लोर टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है. विश्वास मत लाने के लिए विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के 20% यानी 40 सदस्यों के हस्ताक्षर करवा कर नोटिस देना होता है, जिसकी तैयारी कांग्रेस पार्टी की ओर से कर ली गई है.