नई शिक्षा नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु बहुत ही लाभदायक हैं। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गयी। इस शिक्षानीति के द्वारा अब कक्षा 1से 5 तक के सभी बच्चें अपनी मातृभाषा में ज्ञानप्राप्त कर सकेगें। इससे उन पर दबाव कम होकर उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलेगा। इससे भेड़ चाल बन्द होगी और हर बच्चे की प्रतिभा को नई सोच नई उर्जा को बचपन से बढ़ावा मिलेगा। प्राथमिक स्तर से ही उनमें रूचि जागृत होगी। नयी शिक्षा नीति द्वारा हम अपने समय के समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओ को पूर्ण रूपेण सार्थक सिद्ध करने के लिए मानसिक और बौद्धिक जागृति ला सकते है। नयी शिक्षा नीति के तहत कक्षा 6 से ही वोकेशनल कोर्स की शुरूआत की जाएगी जिसमें इच्छुक विद्यार्थी कक्षा 6 के बाद ही इंटर्नशिप प्रशिक्षण कर पायेगे। इस नीति में शिक्षको के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया हैं। व्यापक सुधार हेतु शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमो को कॉलेज स्तर एवं विश्वविद्यालय स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गयी है। प्राईवेट स्कूलो ूमें मनमाने ढंग से फीस रखने और बढाने को भी रोकने का प्रयास किया गया है पहले समूह के अनुसार विषय चुने जाते थे किन्तु अब उसमें भी बदलाव किया गया है जो छात्र इंजिनियरिंग कर रहे है वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ सकते है। इस नीति में पहली और दूसरी कक्षा में गणित और भाषा और चौथी और पाचवी कक्षा के बालको के लेखन पर जोर दिया गया है।
स्कूलो के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया जाएगा नये सिरे से पाठ्यक्रम तैयार किए जायेगे और वो पूरे देश एक जैसे ही होगे। किसी भी विद्यार्थी पर कोई भाषा नही थोपी जाएगी। भारतीय पारम्पारिक भाषाए और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होगे। स्कूल में आने से पहले भी बच्चो को क्या सिखाया जाये ये भी पेरेंट्स को बताया जायेगा। इस शिक्षा नीति के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग लाखों बच्चो को मुख्य धारा में वापस लाने लक्ष्य है। बच्चे के रिर्पोट कार्ड का मूल्यांकन केवल टीचर ही करेंगे बल्कि बच्चे को भी उसका मूल्यांकन करने का मौका मिलेगा बच्चो को भारी भरकम बस्तों के बोझ से निजात मिल सकेंगी अपनी प्राइमरीे स्तर पर मातृभाष में ही शिक्षा ग्रहण करने से उसकी शिक्षा रूचिकर होने के साथ-साथ ही सार्थक भी होगी। जब स्कूल से बच्चा निकलेगा तो हर बच्चे के पास एक वोकेशनल स्किल होगा। छण्ब्ण्म्ण्त्ण्ज् की सलाह से छण्ब्ण्ज्ण्म् टीचर्स ट्रेनिंग के लिए एक नाम सिलेबस य छण्ब्ण्थ्ण्ज्ण्म् 2021 तैयार करेगा। 2030 तक शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बी.एड. डिग्री हो जायेगी।
शिक्षकों को भी प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिये भर्ती किया जाएगा, प्रमोशन योग्यता आधारित होगी। इस नीति के जरिये 2030 तक 100 प्रतिक्षत युवा और प्रौढ साक्षरता के लक्ष्य को प्राप्त करना है। आज तक विज्ञान, गणित, चिकित्सा, रसायन आदि में जो नोबेल पुरस्कार विजेता रहे है उनमें 90: से अधिक वैज्ञानिकों ने अपनी मातृभाषा में ही अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की हैं। देशभर में लाखों की संख्या में आए विचारों को समाहित कर नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत के विधालयों में और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह से सुधार करना हैं कि भारत सम्पूर्ण विश्व में सुपर पावर बन सकें।
इस शिक्षा नीति के द्वारा भारत को खेलकूद, सेना, चिकित्सा, संगीत, कला, अंतरिक्ष आदि के क्षेत्रों में ऐसे युवा मिलेगें जो भारत का नेतृत्व कर विश्व में अपने भारत देश की कीर्ति को और अधिक उज्ज्वल कर सकेगें। नई शिक्षा नीति 2020 को अपना कर भारत अपनी विश्व गुरू की छवि को पुन: सम्पूर्ण विश्व में स्थापित करेगा।
लेखक:-
भावना निगम (अध्यापिका)
रा.उ.मा. विद्यालय, गागरोन
झालावाड़ (राज.) मो. 9413806768