भगवान कृष्ण की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इनके बिना पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को तुलसी का भी भोग लगाया जाता है।  भगवान श्री विष्णु के चरण पर दूध व पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद तुलसी अर्चना की जाती है

दरअसल शास्त्रों में तुलसी जी को देवी कहा जाता है। भगवान विष्णु को ये अत्यंत प्रिय हैं। तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से हुआ था, इसलिए कहा जाता है कि जो तुलसी जी की भक्ति करता है, उसको भगवान की कृपा मिलती है। तुलसी का जिक्र धर्मग्रंथों में भी मिलता है। स्कन्द पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है और हर दिन उसकी पूजा होती है तो ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते।

 पुराणों के अनुसार तुलसी की पूजा रोज करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी जी की पूजा और सेवा करने वालों पर महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। दरअसल कहा जाता है कि विष्णु जी ने तुलसी जी को वरदान दिया था कि मुझे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और जो व्यक्ति बिना तुलसी जी मेरी पूजा करेगा, उसका भोग मैं स्वीकार नहीं करुंगा। तब से तुलसी जी की पूजा सभी करने लगे और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किया जाता है। 

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