कोटा, 12 अगस्त। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने माल छोड़ने की एवज में रिश्वत मांगने एवं मंथली बंदी के लिए दबाव बनाने के मामले मेंं आरोपी बारां में पदस्थापित रहे सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी एमपी कल्याण को 3 वर्ष का कठोर कारावास व 30 हजार रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है।
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि 25 सितंबर 2006 को परिवादी श्याम मखीजा जाने ब्यूरो कार्यालय में उपस्थित होकर एक लिखित शिकायत पेश की कि मैं मेरे पिता गोपाल गोली वाला के नाम से बारां में स्थित किराने की दुकान पर काम करता हूं। दुकान पर सभी प्रकार के पान मसाला व गुटखे बेचने का कार्य होता है। 22 सितंबर 2006 को कोटा से 6 बोरी गुटका ट्रांसपोर्ट कंपनी आरकेआरटी के द्वारा लेकर आया था। वह अभी वहीं पर है, करीब 10:00 बजे एसीटीओ बारां एमपी कल्याण ट्रांसपोर्ट कंपनी पर आए और मुझसे बात करने की कहा और बोले कि मैं आपको फोन पर बता दूंगा। जिन्होंने मुझे 10 हजार रुपये रिश्वत देने की बात कही और कहा कि अगर तुम रिश्वत के 10 हजार रूपये नहीं दोगे तो मैं तुम्हारे खिलाफ केस बना दूंगा। मैं बहुत कसाई आदमी हूं। बिना पैसे काम नहीं करता। मैं एमपी कल्याण एसीटीओं को रिश्वत देना नहीं चाहता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ पाना चाहता हूं।

एसीबी ने शिकायत का सत्यापन करवाया,जिसमें आरोपी द्वारा 5 हजार रुपए रिश्वत मांगने एवं मंथली बंदी के रूप में राशि देने हेतु दबाव बनाने अन्यथा केस बनाने का मामला पाए जाने पर ट्रैप कार्रवाई का आयोजन किया, किंतु शंका होने के कारण आरोपी के द्वारा रिश्वत राशि प्राप्त नहीं की गई और दो बार प्रयास करने पर भी ट्रैप सफल नहीं होने पर आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

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