चीन द्वारा तिब्बत में एक कृत्रिम झील बनाने का मामला सामने आया है। इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार को घेरा है और कहा है कि यदि जरुरत महसूस होती है तो सरकार को चीन को अन्तरराष्ट्रीय विवाद परिषद में ले जाना चाहिए क्योंकि यह कृत्रिम झील अरुणाचल प्रदेश के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
कांग्रेस ने कहा कि सरकार की तरफ से ‘राष्ट्रवाद’, ’56 इंच का सीना’ और ‘लाल आंखें’ जैसी बातें की जाती हैं लेकिन हकीकत में यह खाली नारे और खोखले दावे लग रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी पर बनायी जा रही कृत्रिम झील, लद्दाख के देपसांग में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी, नेपाल द्वारा कुछ भारतीय इलाकों पर अपना दावा करना, ये सब खतरे की निशानी हैं और सरकार को इन्हें सुलझाने के लिए गंभीर कदम उठाने चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तिब्बत में यारलुंग सांगपो नदी पर बनायी गई कृत्रिम झील अरुणाचल प्रदेश के ऊपर है। उन्होंने कहा कि इसे ‘वाटर बम’ कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। एक दरार या जानबूझकर इसे तोड़े जाने पर यह अरुणाचल प्रदेश और पूरे सियांग बेसिन में बाढ़ और भारी तबाही का कारण बन सकती है।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद अरुणाचल प्रदेश और पूरे सियांग बेसिन में अलर्ट जारी कर दिया गया है। हालांकि कांग्रेस का मानना है कि सरकार को इससे ज्यादा अन्तरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्तर पर पहल करने की जरुरत है। कांग्रेस का कहना है कि यदि जरुरत पड़ती है तो भारत सरकार को इस मामले को अन्तरराष्ट्रीय विवाद समाधान परिषद में ले जाना चाहिए।