अगर आप शिशु को नियमित स्‍तनपान करवा रहीं हैं, तो आपका शरीर गर्भधारण की अनुम‍ति नहीं देता। एक्‍सपर्ट समझा रहीं हैं कैसे-यह प्रकृति का तोहफा है मां और बच्‍चे दोनों के लिए। जब तक मां बच्‍चे को ब्रेस्‍टफीड करवाती है तब तक गर्भधारण की संभावना 98% तक नहीं होती। उनकी बॉन्डिंग के बीच कोई तीसरा न आए, इसलिए मां का शरीर प्राकृतिक तौर पर गर्भ धारण की बजाए वात्‍सल्‍य के संकेत देता है। इसे समझने के लिए आपको हॉर्मोन्‍स को समझना होगा।

स्‍तनपान और गर्भनिरोधक के बीच के संबंध को समझने के लिए आपको मासिक धर्म में हॉर्मोन्स की भूमिका को समझना होगा।

साधारणत: महिलाओं में पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाले हॉर्मोन्स अन्य हॉर्मोन संबंधी बदलाव लाते हैं, जिनसे अंडाणु कोशिका युक्त ओवेरियन फॉलिकल का विकास होता है और वह मैच्योर होता है। इन हॉर्मोन्स को हाइपोथैलेमस नियंत्रित करता है।

समझिए पीरियड सायकल को
फॉलिकल से एस्ट्रोजन​ का स्राव होता है और आखिरकार यह फट जाता है जिससे अंडाणु कोशिका निकलती हैं। यह फटा हुआ फॉलिकल एक अस्थाई ग्रंथि के तौर पर काम करती है जिसे कॉर्पसल्यूटियम कहते हैं और यह एस्ट्रोजन के साथ-साथ प्रोजेस्ट्रोन का स्राव भी करते हैं।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन गर्भाशय की लाइनिंग को मोटा करते हैं और इसे निषेचन होने पर अंडाणु कोशिका के इम्प्लांटेशन के लिए तैयार करते हैं। अगर अंडाणु कोशिका का निषेचन नहीं होता है या यह इंप्लांट नहीं होती है, तो गर्भाशय की यह लाइनिंग मासिक धर्म के दौरान बाहर निकल जाती है।

लेकिन जब मां स्तनपान करा रही होती है तो शिशु प्राकृतिक रूप से मां के निप्पल पर दबाव पड़ता है। निप्पल पर पड़ने वाला दबाव मां के शरीर को प्रोलैक्टिन हॉर्मोन का उत्पादन करने का संदेश देता है जो मां में ओव्यूलेशन या अंडोत्सर्ग को रोकता है। इसके साथ ही, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का स्तर कम रहने के कारण गर्भाशय की लाइनिंग पतली रहती है, जिससे मासिक धर्म नहीं होते हैं।

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