बेगूसराय। लॉकडाउन में घर बैठे लोग मोबाइल पर यूट्यूब के माध्यम से समय गुजारने को अभ्यस्त हो गए हैं। यूट्यूब की ओर लोगों की बढ़ती मानसिकता को देखते हुए विभिन्न तरीके से समाज में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे लोग यूट्यूब के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। इसी कड़ी में बेगूसराय की एक टीम ने लघु फिल्म मुक्ति गाथा बनाई है। बेटियों को पढ़ाने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और दहेज जैसी कुप्रथा को मिटाने के लिए बनाए गए मुक्ति गाथा की परिकल्पना भोला बसंत ने की और पटकथा लिखा है पूर्व एमएलसी भूमिपाल राय ने।
जन-जागरण के लिए श्रीराम जानकी फिल्म्स के निर्माता विष्णु पाठक और रजनीकांत पाठक ने इस मुक्ति गाथा एक फिल्म का निर्माण कराया है। कहानी एक गरीब परिवार पर आधारित है, जिसमें बेटी सीता की शादी में पिता धनश्याम क्षमता अनुसार कन्यादान करता है। विदाई से पहले दहेज की रकम देते समय लड़के का पिता पूरी रकम लेने पर अड़ गया। गरीब घनश्याम के काफी आरजू का कोई फायदा नहीं, थक हार कर जल्द ही शेष रकम देने का वचन देता है तो बेटी की विदाई होती है। कुछ दिन बाद ससुराल में दहेज की रकम पर विवाद शुरू हो जाता है, दहेज लोभी पिता अपने पत्नी को उकसा कर बहु को प्रताड़ित करवाता है। दहेज की रकम लाने के लिये तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। एक दिन पिता की सह पर लड़का किरासन तेेल छिड़कने के बाद जलाकर मार देता है। लड़की के पिता से मौत का सदमा बर्दास्त नही होता है। वह दूसरी बेटी गीता की चिंता करने लगता है, नाटकीय ढ़ंग से बेटी को खेत पर बुलाता है और जहां वह दूसरी बेटी की हत्या इसलिए करना चाहता है कि पहली बेटी को दहेज लोभियों ने जला कर मार डाला। इसकी भी शादी करेंगे, इसे भी मार देंगे। इस तरह के सोच के बीच अंत में समाज के लोग इकट्ठा होते है और ऐसा नहीं करने के लिये लड़की के पिता को समझाते हैं।

निर्देशक अनूप कुमार ने समाज के कड़वी सच्चाई की दास्तां को दुश्मन दहेजक सुनल कहानियां हो गीत के अंदर समेट कर बहुत बड़ा संदेश दे दिया है। सह निर्माता एवं अभिनेता भूमिपाल राय ने बताया कि दहेज एक कुप्रथा है। राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश में प्रति घंटे एक नव विवाहित जोड़ी दहेज की बलि चढ़ रही है। इस भयावह स्थिति पर नियंत्रण सिर्फ कानून के माध्यम से असम्भव हैं। इस बीमारी को खत्म करने के लिये हम सबको सामाजिक स्तर पर प्रयास करना चाहिए। गणेश गौरव के गीत को स्वर दिया है अमर आनंद ने, जबकि संकलन सन्नी सिन्हा का है।