नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। अक्‍साई चिन से महज 7 किमी. दूर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के पास चीन के करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती के बाद वायुसेना ने अपनी रात की चौकसी बढ़ा दी है। वायुसेना के हेलीकाप्टर चिनूक रात भर दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) पर उड़कर निगरानी कर रहे हैं। डीबीओ में ही शनिवार को भारत और चीन के बीच छठे दौर की सैन्य वार्ता हुई जो नाकाम रही है। इस बैठक में भी भारत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह एलएसी के किसी भी हिस्से में गश्त के अधिकारों से पीछे नहीं हटने वाला है।

पूर्वी लद्दाख की सीमा एलएसी पर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के पास चीन ने करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की है। यहां से चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन महज 7 किमी. दूर है। दरअसल यहां चीन अपनी सेना की तैनाती करके एक साथ डेप्सांग घाटी, अक्साई चिन और दौलत बेग ओल्डी पर नजर रख रहा है। चीन ने पहले ही डेप्सांग घाटी में नए शिविर और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए हैं, जिसकी पुष्टि सेटेलाइट की तस्वीरों और जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी हुई है। पूर्वी लद्दाख का डेप्सांग प्लेन्स इलाका भारत-चीन सीमा के सामरिक दर्रे काराकोरम पास के बेहद करीब है। इसी के करीब चीन सीमा पर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) है। ऐसा नहीं है कि डेप्सांग प्लेन्स का इलाका हाल ही में चीनी नियंत्रण में आया हो बल्कि भू-स्थानिक अनुसंधान और सेटेलाइट तस्वीरों से यह भी खुलासा हुआ है कि 2000 के दशक की शुरुआत से ही इस क्षेत्र में चीनी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है।

इसीलिए वायुसेना ने दौलत बेग ओल्डी और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन पर नजर रखने के लिए रात में चौकसी बढ़ाने का फैसला लिया। साथ ही एलएसी के पार चीन सेना की तैनाती और सड़क निर्माण गतिविधि पर भी नजर रखी जा सके। भारतीय वायु सेना के 4 चिनूक हेलीकॉप्टर 16 हजार फीट की ऊंचाई पर रात में दौलत बेग ओल्डी, काराकोरम दर्रे के पास से उड़ान भर रहे हैं। इससे अमेरिकी चिनूक का रात में लड़ने की क्षमताओं का भी परीक्षण हो रहा है। रात के समय चिनूक को उड़ाने का निर्णय विशेष बलों और भारतीय सेना की क्षमता का परीक्षण करने के लिए भी किया जा रहा रहा है। अपाचे हेलीकॉप्टर चुशुल क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं। शनिवार को हुई सैन्य बैठक में भारत ने यह मुद्दा भी उठाया है कि दोनों पक्षों को डीबीओ के दक्षिण में डेप्सांग सहित पूरे क्षेत्र में अनियंत्रित गश्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह भारतीय मंशा का स्पष्ट संकेत था कि वह एलएसी के किसी भी हिस्से में गश्त के अधिकारों से पीछे नहीं हटने वाला है।

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