जयपुर 8 अगस्त । राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि वसुंधरा राजे 2 बार की मुख्यमंत्री है उनकी सलाह की जरूरत हुई तो लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कैलाश मेघवाल को लेकर कहा कि पार्टी की उनसे बात हुई है उसके बाद उनका कोई बयान नहीं आया. उन्होंने कहा कि उनकी उम्र नहीं कि उन्हें बाड़ेबंदी में शामिल किया जाए.
हम लोग विपक्ष में है सरकार को घेरने का काम हम करेंगे:
सतीश पूनिया ने कहा कि 2 साल से कई तरह की चर्चाएं होती है. हमारी पार्टी में न तो कोई विग्रह बाकी है और कोई भी गॉसिप होती रहे हमे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि हम लोग विपक्ष में है और सरकार को घेरने का काम हम करेंगे. 30 प्रश्न एक विधायक लगा सकता है तो हमारे विधायक भी सत्र में अधिकाधिक प्रश्न लगाएंगे. हम कांग्रेस की हर रणनीति का जवाब देने के लिए तैयार है. राजेंद्र राठौड़ को रणनीति के पता नहीं होने पर पूनिया ने कहा कि कई बार एक घर में पति-पत्नी को भी कई बातें पता नहीं होती.
भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी को लेकर दिया जवाब:
भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने बयान देते हुए कहा कि विधायकों को शिफ्ट करना गैरकानूनी नहीं है. आवश्यक हुआ तो उन्हें जयपुर बुलाया जाएगा. हमारी 45 विधायकों से बातचीत हुई है इसे दूसरे नजरिया से देखने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि सत्र के बाद सभी चीजें मीडिया के सामने रखूंगा. हमने जिलों के हिसाब से विधायकों को कैटेराइज्ड किया है. 2 महीने से कांग्रेस वाले पड़े है तो हमारे वाले भी 7 दिन घूमकर आ जाएंगे.
भाजपा को भी सता रहा ‘टूट का डर’
दरअसल, विधानसभा सत्र से पहले भाजपा भी अपनी रणनीति में किसी तरह की चूक छोड़ना नहीं चाहती है। यही वजह है कि अब पार्टी के विधायकों को एकजुट करने के लिए बादाबंदी का खाका तैयार किया गया है, और अब उसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
शुक्रवार को दिनभर चली भाजपा की बाडेबंदी की चर्चाओं के बाद आज शनिवार को पार्टी की ओर से अधिकृत बयान सामने आया है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने मीडिया को दी प्रतिक्रिया में कहा है कि विरोधियों की ओर से हमारे विधायकों पर अलग-अलग ज़रियों से दबाव बनाए जाने के लगातार संकेत मिल रहे हैं। पूर्व के जन-आन्दोलनों से जुड़े मामलों का ज़िक्र करते हुए विधायकों पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की इस तरह से दबाव बनाने की शुरू से परम्परा रही है। फिलहाल बोर्डर पर बैठकर सरकार इस तरह के प्रयासों में जुटी है। इसी वजह से विधायकों को एकजुट किया जा रहा है।‘
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में तो गुटबाजी सामने आ चुकी है लेकिन भाजपा में भी कई गुट हैं। हर गुट इस काम में लगा है कि यदि राज्य में सत्ता परिवर्तन होता है तो उनके पसंदीदा नेता ही मुख्यमंत्री बनें। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि किसी भी कीमत पर विधायकों में टूट हो।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के दो गुटों की अलग-अलग बाडेबंदी पहले ही जारी है। गहलोत समर्थित विधायक जहां जैसलमेर में डेरा डाले हुए हैं वहीं पायलट अपने समर्थित विधायकों के साथ संभवतः हरियाणा स्थित एक रिजोर्ट में कैम्प किये हुए हैं।