उदयपुर: राजस्थान के उदयपुर की सीजेएम कोर्ट ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 55 साल पुराने मामले का निस्तारण किया है. यह चर्चित मामला 56 किलो 86 ग्राम सोने से जुड़ा है. उदयपुर कोर्ट ने इस सोने को चित्तौड़ के सोना सीजीएसटी को सौंपने के आदेश दिए हैं. दरअसल ये पूरा मामला 55 साल पहले भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तोलने से जुड़ा है. 

प्रकरण के अनुसार 16 दिसंबर 1965 में लाल बहादुर शास्त्री की चित्तौड़ के छोटी सादड़ी में एक यात्रा प्रस्तावित थी. इस यात्रा में छोटी सादड़ी निवासी गणपत लाल आंजना ने लाल बहादुर शास्त्री को सोने से तोलने के लिए 56 किलो 86 ग्राम सोना इकट्ठा किया था आंजना द्वारा शास्त्री की यात्रा से पूर्व इस सोने को सुरक्षित रखने के लिए चित्तोड़ के तत्कालीन जिला कलेक्टर को जमा कराया गया था. हालांकि प्रस्तावित यात्रा से ठीक पहले ही प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के चलते यह यात्रा नहीं हो पाई और गणपत लाल आंजना ने 26 फरवरी 1966 को जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ को एक प्रार्थना पत्र पेश कर इस सोने को वापस उन्हें देने की मांग की. 

 इसी दौरान गुणवंत नाम के एक व्यक्ति ने गणपत लाल और अन्य के खिलाफ सोने की धोखाधड़ी को लेकर एक एफआईआर दर्ज करा दी, जिसके चलते गणपत लाल आंजना का सोना जब्त हो गया. धोखाधड़ी के मामले में उदयपुर की निचली अदालत ने गणपत एवं अन्य व्यक्तियों को 3-3 साल की सजा सुनाई और सोना स्वर्ण नियंत्रक अधिकारी को सुपुर्द करने के आदेश जारी किए. इसके बाद इसी वर्ष की 23 जुलाई को गणपत लाल ने एक प्रार्थना पत्र उदयपुर सीजेएम कोर्ट में पेश किया जिसमें उन्होंने सोना खुद को सुपुर्द करने की मांग की. 

वहीं, सीजीएसटी के अधिकारियों ने भी अपने वकील के जरिये कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया, जिसमें उन्होंने कोर्ट के पूर्व आदेश का हवाला दिया कि सोना सीजीएसटी को सौंपने के आदेश हो चुके हैं. ऐसे में कोर्ट ने एक बार फिर इस मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व आदेश को बहाल रख 56 किलो 86 ग्राम सोने को सीजीएसटी चित्तौड़गढ़ को सौंपने का फैसला सुनाया. इस सोने की कीमत बाजार में करीब 31 करोड़ रुपये बताई जा रही है.

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