कोटा 6 अगस्त। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने भ्रष्ट आचरण से लाखों रुपए की आय अर्जित करने के मामले में आज गुरुवार को निर्णय देते हुए आरोपी सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी को 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं 50 लाख रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है। साथ ही आरोपी की भ्रष्ट आय से अर्जित अंचल तीन संपत्तियों पर कब्जा प्राप्त करने और 3 माह में पालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश जिला कलेक्टर को जारी किए हैं।
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि वर्ष 2003 में वाणिज्यिक कर विभाग में सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी के पद पर कोटा में पदस्थापित मोहनलाल स्वर्णकार के संबंध में एसीबी को ज्ञात हुआ कि इसके द्वारा अपने राजकीय सेवाकाल में पद का दुरुपयोग कर भ्रष्ट आचरण के जरिए अपनी आय से ज्ञात स्रोतों की तुलना में कई गुना अधिक कीमत की परिसंपत्तियां अर्जित की हुई है।
मोहनलाल स्वर्णकार मूल रूप से टोंक जिले के निवासी हैं। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि अत्यंत ही साधारण स्तर की रही है।इनके पिता के एक स्वर्णकार की दुकान थी,जो उससे अपना तथा अपने परिवार का गुजर बसर करते थे। मोहनलाल स्वर्णकार वर्ष 1979 में वाणिज्य कर निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुआ और वर्ष 1997 में इनकी सहायक वाणिज्य कर अधिकारी के पद पर पदोन्नति हुई। इन्होंने अपने उक्त राजकीय सेवाकाल 1979 से 2002 तक भ्रष्ट आचरण के जरिए अपने वैध आय की तुलना में कई गुना अधिक कीमत की परिसंपत्ति अर्जित की है जिसका इनके पास कोई संतोषजनक आधार नहीं है।
न्यायालय से एसीबी ने सर्च वारंट प्राप्त कर आरोपी मोहनलाल स्वर्णकार के निवास 1/7 गणेश तालाब कोटा एवं उनकी अन्य संपत्तियों पर तलाशी कार्रवाई की और संपत्तियों के कागजात जप्त किए। प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान के पश्चात न्यायालय में आरोप पत्र पेश वर्ष 2012 में पेश किया गया। आरोप पत्र में आरोपी सहायक वाणिज्य कर अधिकारी के समस्त स्रोतों से आए 34,58, 486/- रुपए एवं व्यय/ परिसंपत्तियां 54,70,999/- रूपये पायी गई तथा ज्ञात आय के ज्ञात स्रोतों से राशि 20,12,513/- रुपए अवैध रूप से अर्जत करना पाया गया,जो वैध आय से से 58.20% अधिक है,जो जुर्म धारा 13(1)(ई),13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दंडनीय अपराध होना माना गया।
न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए आरोपी को दंडित किया गया और आरोपी द्वारा वैध आय से भी 20 लाख रुपए से अधिक अर्जित की गई संपत्तियां नंबर (1) भूखंड संख्या–55, सेठ भामाशाह मंडी कोटा (मय निर्मित परिसर) नंबर (2) भूखंड संख्या–12 इंद्रप्रस्था इंडस्ट्रियल एरिया कोटा (मय निर्मित परिसर) एवं मैसर्स चंद्रकांता एंटरप्राइजेज इटावा जिला कोटा वाली दुकान पर कब्जा प्राप्त कर तीन माह में पालना रिपोर्ट पेश करने के जिला कलेक्टर को आदेश दिए गए
भ्रष्टाचार पर रोक,कठोर दंड के प्रावधान से संभव
न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने निर्णय में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान प्रकरण में अभियुक्त के आपराधिक कृत्य अपराध की गंभीरता प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह देखते हुए कि भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है जो धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था एवं देश को खोखला करने का कार्य कर रही है।भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु वृहद स्तर पर सतत प्रयास किए जाने अपेक्षित रहते हैं और भ्रष्टाचार पर रोक लगाए जाने हेतु न्यायालय के मतानुसार कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए।अभियुक्त के विरुद्ध मौजूदा प्रकरण धारा 13 (1) (ई) सपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 से संबंधित है। इस प्रकार के अपराधों में धारा 16 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में निहित प्रावधानों के तहत अभियुक्त पर जुर्माना अधिरोपित करने के लिए धन संबंधी स्रोत जिनके संबंध में अभियुक्त जो कि समाधान लेखा-जोखा नहीं दे सका है,को न्यायालय विचार में ले सकेगा।मौजूदा प्रकरण में अभियुक्त द्वारा 20,12,513/–रुपए के संबंध में लेखा-जोखा न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया है अतः ऐसी स्थिति में प्रकरण के समस्त तथ्यों व परिस्थितियों पर गहनता से विचार करते हुए अभियुक्त के द्वारा किए गए कृत्य उनकी उम्र एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत समस्त अभियुक्तगण को नियमानुसार दंडित किया जाना न्यायोचित है।