जयपुर 5 अगस्त । राजस्थान में पैदा हुए सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट समर्थक बाड़ाबंदी में है। गहलोत सरकार के मंत्री और विधायक मीडिया के सामने मुखर हैं, लेकिन पायलट और उनके समर्थकों ने ‘मौन’ को खुद का बड़ा हथियार बना लिया है। सियासी संग्राम के 24 दिन बाद भी पायलट की राजनीतिक टिप्पणी सीधे तौर पर सामने नहीं आने से कांग्रेस के संगठन से लेकर सत्ता के गलियारों में अंदरखाने खलबली मची हुई हैं। हालत यह है कि पायलट के ‘मौन’ की वजह से गहलोत सरकार के सुर अब नरम पडऩे लगे हैं। पायलट व बागी विधायकों के खिलाफ दर्ज हुआ राजद्रोह का केस वापस लेने के साथ ही उनके विधानसभा क्षेत्रों के लिए की गई घोषणाओं को सुलह के संकेतों के नजरिए से देखा जा रहा है।
राजस्थान में 10 जुलाई को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को विधायकों के कथित खरीद-फरोख्त प्रकरण में नोटिस थमाए जाने के बाद वे नाराज होकर अज्ञातवास पर चले गए थे। इसके बाद खुलासा हुआ कि कांग्रेस के 19 विधायक भी हरियाणा के मानेसर में उनके साथ है। तब से लेकर अब तक राजस्थान की सियासत में रोजाना नई उठापटक हो रही है। पायलट खेमे के कुछ विधायक मीडिया के सामने आकर मुख्यमंत्री गहलोत को निशाने पर ले रहे हैं, जबकि खुद सचिन पायलट की सीधे तौर पर किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी नहीं आई है। वे रोजाना ट्वीट भी कर रहे हैं, लेकिन इनका प्रदेश से सियासी संबंध नहीं है। कांग्रेस का आला नेतृत्व भी पायलट खेमे की इस चुप्पी के टूटने का इंतजार कर रहा है।
इस बीच, गुजरे 24 दिनों से पायलट खेमे के मौन ने राजस्थान में कांग्रेस के संगठन तथा सत्ता के गलियारों तक खलबली मचा रखी है। कांग्रेस के आला नेता पायलट के इस मौन पर सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका आरोप यह है कि पायलट और बागी विधायक तो पार्टी में लौटने के लिए बेताब है, लेकिन भाजपा ने उन्हें बंधक बना रखा है। पिछले 24 दिन में पायलट गुट के कुछ विधायकों ने जरुर कैमरों के सामने लिखित स्क्रिप्ट पढ़ी है। कुछ समय पहले तक पायलट को निकम्मा और नकारा जैसे शब्द कह चुके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अब अपने बयानों में पायलट को सीधे निशाना बनाने से बच रहे हैं। उल्टे, पायलट और बागी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में सौगातें दी जा रही है। मुख्यमंत्री तर्क दे चुके हैं कि इस पूरे घटनाक्रम में पायलट खेमे के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की कोई गलती नहीं है। इसलिए, उन्हें सुविधाओं व विकास से वंचित नहीं किया जा सकता। 
विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने राजद्रोह की धारा 124 ए हटा दी है। यह वही धारा है, जिसकी वजह से प्रदेश की सियासत में भूचाल आया था। गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों को एसओजी ने राजद्रोह के तहत ही नोटिस दिया था। इसी से नाराज होकर पायलट ने बगावती तेवर अपनाए थे। 
गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस की ओर से पूरे सियासी घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। इस पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत सामने आए और उन्होंने कहा था कि ‘वसुंधरा जी की चुप्पी एक रणनीति हो सकती है और कभी-कभी चुप्पी शब्दों से भी ज्यादा गूंजती है।’ अब पायलट खेमे की सियासी चुप्पी गहलोत सरकार के साथ-साथ कांग्रेस के संगठन में भी गूंज रही है।

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