images (5)जयपुर, 30 जुलाई । राजस्थान हाईकोर्ट ने प्री प्राइमरी कक्षाओं को आरटीई के दायर से बाहर करने और इसके प्रावधानों को पहली कक्षा से लागू करने पर मुख्य सचिव, प्रारंभिक शिक्षा सचिव और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश अभ्युत्थान सोसायटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। याचिका में कहा गया कि आरटीई कानून के तहत दुर्बल वर्ग के बच्चों के लिए निजी स्कूलों की कक्षाओं में 25 फीसदी सीटें आरक्षित रखने का प्रावधान है। इसके चलते पिछले साल करीब एक लाख से अधिक बच्चों को प्री-प्राईमरी कक्षाओं में प्रवेश दिया गया। वहीं इस बार राज्य सरकार ने नई प्रवेश नीति बनाकर प्री-प्राईमरी कक्षाओं को आरटीई के दायरे से बाहर कर दिया और सिर्फ पहली कक्षा को आरटीई के तहत एंट्री लेवल बना दिया। याचिका में कहा गया कि अधिनियम की धारा 12 के अनुसार सभी निजी स्कूलों में वंचित वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। अधिनियम के तहत जिन स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं हैं, उन स्कूलों को आरटीई का लाभ प्री प्राइमरी कक्षाओं से ही देने का प्रावधान है। ऐसे में सरकार की पहली कक्षा से आरटीई का लाभ देने की नीति को अवैध घोषित किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

Leave a Reply