राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव तीसरी बार लौटा दिया। राज्यपाल ने पिछले 7 दिनों में तीसरी बार राज्य सरकार के प्रस्ताव को लौटाया है। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार यानी 29 जुलाई को चौथी बार राज्यपाल से मिलने पहुंचे। गवर्नर ने शर्त रखी थी कि सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए।
गहलोत कैबिनेट में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पहले ही कह चुके हैं कि राज्यपाल अगर संविधान के खिलाफ जाकर सत्र बुलाने की फाइल तीसरी बार भी लौटा देते हैं तो सरकार फिर से इसे कैबिनेट में ले जाएगी। फिर मुख्यमंत्री जो फैसला लेंगे वह अंतिम होगा। इससे पहले कांग्रेस ने राज्यपाल के खिलाफ आक्रामक रुख दिखाया और उन्हें मानसिक रूप से बीमार बताते हुए ट्विटर पर ‘गेट वेल सून गवर्नर’ अभियान भी चलाया।
इससे पहले अशोक गहलोत ने कहा कि जिन्होंने पार्टी को धोखा दिया है वह हाईकमान से माफी मांग ले। हाईकमान जो फैसला करेगी वह हमें मंजूर होगा लेकिन हम चाहते हैं वह जनता के विश्वास को नहीं तोड़े। राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात से पहले विधानसभा सत्र बुलाने के लिए गवर्नर की आपत्तियों वाली चिट्ठी पर अशोक गहलोत ने कहा कि प्रेम पत्र तो पहले ही आ चुका है, अब मिलकर पूछूंगा कि क्या चाहते हैं? 21 दिन के नोटिस की राज्यपाल की शर्त को लेकर बोले के कि 21 दिन हों या 31 दिन, जीत हमारी होगी। 70 साल में पहली बार किसी गवर्नर ने इस तरह के सवाल किए हैं। आप समझ सकते हैं कि देश किधर जा रहा है?
वहीं, कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के अलावा कई मंत्री और विधायक शामिल हुए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा अन्य विधायकों के साथ बस में बैठकर प्रदेश कार्यालय पहुंचे।